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संघ की स्थापना के शताब्दी वर्ष को ध्यान में रख अगले 15 से 20 वर्षों तक समाज में ‘पंच परिवर्तन’ के पांच प्रमुख क्षेत्रों में समर्पित रूप से कार्य करने को स्वयंसेवक रहे तैयारः आलोक कुमार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह आलोक कुमार ने विजयादशमी उत्सव समारोह के अवसर पर रांची के कोकर में उपस्थित सैकड़ों स्वयंसेवकों एवं नागरिकों को संबोधित करते हुए एक दीर्घकालिक सामाजिक परिवर्तन का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि संघ की स्थापना के शताब्दी वर्ष (2025-2030) को ध्यान में रखते हुए अगले 15 से 20 वर्षों तक स्वयंसेवक समाज में ‘पंच परिवर्तन’ के पांच प्रमुख क्षेत्रों में समर्पित रूप से कार्य करें।

आलोक कुमार ने समाज को सशक्त, स्वावलंबी और समरस बनाने हेतु पांच परिवर्तनकारी कदमों का सूत्रपात किया, जिन्हें हर स्वयंसेवक को अपने जीवन का लक्ष्य बनाना चाहिए।

1. सामाजिक समरसता – छुआछूत का पूर्ण उन्मूलन

जातिगत भेदभाव और छुआछूत जैसी कुरीतियों को न केवल व्यवहार से, बल्कि मन और आत्मा से समाप्त करने का आह्वान किया गया। उन्होंने कहा कि जब तक समाज के अंतिम व्यक्ति तक समानता का अनुभव नहीं पहुंचेगा, तब तक समरस राष्ट्र की कल्पना अधूरी रहेगी।

2. पर्यावरण संतुलन – प्रकृति के प्रति संवेदना का विकास

आलोक कुमार ने बढ़ते पर्यावरण असंतुलन पर चिंता व्यक्त करते हुए शुद्ध वायु, शुद्ध पेयजल, पौधारोपण, और अन्न की बर्बादी रोकने जैसे अभियानों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की रक्षा केवल सरकार की नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है।

3. कुटुम्ब प्रबोधन – परिवार संस्था का सशक्तिकरण

परिवार को समाज की मूल इकाई बताते हुए उन्होंने संबंधों में सम्मान, आपसी संवाद, और संयुक्तता को बनाए रखने की अपील की। संवेदनशील, सुसंस्कृत और सशक्त परिवार ही राष्ट्र की नींव को मजबूत करते हैं, उन्होंने कहा।

4. स्वदेशी – आत्मनिर्भरता की भावना को मजबूत करना

स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग पर जोर देते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि वोकल फॉर लोकल केवल नारा नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक स्वतंत्रता की कुंजी है। जो वस्तुएँ भारत में बन सकती हैं, उन्हें विदेश से मँगाना आत्मघाती है, उन्होंने कहा।

5. नागरिक कर्तव्य – अधिकारों से पहले कर्तव्यों की चेतना

उन्होंने बताया कि एक जागरूक नागरिक वह होता है जो अपने कर्तव्यों का पालन पहले करता है, अधिकार अपने आप फलस्वरूप मिलते हैं। हमें शिक्षा, सुरक्षा, स्वच्छता जैसे क्षेत्रों में अपने दायित्व समझने होंगे।

विजयादशमी का सन्देश – बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक

अपने उद्बोधन में आलोक कुमार ने विजयादशमी के ऐतिहासिक संदर्भ को जोड़ते हुए बताया कि जैसे माँ दुर्गा ने महिषासुर और भगवान राम ने रावण के अहंकार का विनाश किया, वैसे ही हमें अपने अंदर के अहंकार, अज्ञान, और नकारात्मकता का अंत कर, ज्ञान, शक्ति और धन को समाजहित में प्रयोग करना चाहिए।

घर-घर सम्पर्क अभियान – समाज जागरण का अगला चरण

उन्होंने घोषणा की कि संघ के स्वयंसेवक समाज में जाकर शिक्षा, देशप्रेम, आपदा प्रबंधन, और समाज जागरण के लिए घर-घर सम्पर्क करेंगे। जन-जन तक पहुँच कर राष्ट्रीय चेतना को जाग्रत करना ही संघ का उद्देश्य है, उन्होंने कहा।

शस्त्र पूजन और पथ संचलन – परंपरा और अनुशासन का संगम

इस अवसर पर मूसलाधार वर्षा के बीच सैकड़ों स्वयंसेवकों ने कोकर में अनुशासित रूप से पथ संचलन किया। इसके साथ ही परंपरागत शस्त्र पूजन किया गया, जो शक्ति और मर्यादा के संतुलन का प्रतीक है। समारोह में अनेक प्रमुख कार्यकर्ता एवं सामाजिक प्रतिनिधि उपस्थित रहे, जिनमें विशेष रूप से प्रान्त प्रचारक गोपाल शर्मा, विभाग संचालक विवेक भसीन, नगर संघचालक विजय राज, शशिकांत, मुकेश कपूर, मदन राजभर, आनन्द दूबे, सच्चिदानन्द, राजेन्द्र, संजीव विजयवर्गीय प्रमुख रहे।

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