CM हेमन्त से नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल ने स्वास्थ्य मंत्री इरफान की लिखित शिकायत की, लगाया टेंडर मैनेज कराने का गंभीर आरोप
नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को एक पत्र लिखा है। पत्र में स्वास्थ्य विभाग में टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से हुई सुनियोजित लूट एवं पक्षपातपूर्ण प्रकरण पर उच्चस्तरीय जांच कराने व विधिसम्मत कार्रवाई करने का जिक्र है। नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने पत्र में लिखा है कि आपके वर्तमान कार्यकाल में स्वास्थ्य विभाग की टेंडर प्रक्रिया को लेकर गंभीर अनियमितताओं के साक्ष्य मिले हैं।
बाबूलाल मरांडी का कहना है कि उपलब्ध रिकार्ड और सार्वजनिक दस्तावेजों से स्पष्ट है कि सुनियोजित ढंग से प्रतिस्पर्द्धा को सीमित कर कुछ खास चुनिंदा लोगों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया है। यह मामला केवल वित्तीय अनियमितता नहीं, बल्कि शासन की पारदर्शिता और संवैधानिक सिद्धांतों पर भी गहरा सवाल खड़ा करता है। इसलिए इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष और ससमय जांच आवश्यक है।
बाबूलाल मरांडी ने पत्र में इस बात का जिक्र किया है कि आपकी सरकार बनने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जेम पोर्टल के तहत दिसम्बर 2024 से अब तक 11 टेंडर्स निकालें। जिसमें कई घोटालें नजर आ रहे हैं। बाबूलाल मरांडी ने क्रमानुसार उन सारे घोटालों का अपने पत्र में जिक्र किया है। बाबूलाल मरांडी अपने पत्र में लिखते हैं कि इन सभी 11 के 11 टेंडर सिर्फ तीन कंपनियों को दिये गये – हिन्द इन्फ्राप्रोजेक्ट प्राइवेट लि., मेसर्स भारत आर्टस एंड सप्लायर और मेसर्स ग्लोबल आर्टस एंड सप्लायर। सारे टेडर्स बस चुनिंदा कंपनियों को देना कोई संयोग नहीं, बल्कि हेरफेर करने का यह सुनियोजित प्रयोग है।
बाबूलाल मरांडी के पत्र में कहा गया है कि इन तीनों कंपनियों का पता एक ही है – इरगू रोड, पहाड़ी टोला, रांची। जो इनकी मिलीभगत और फर्जीवाड़े की ओर इशारा करता है। तीनों कंपनियों के निदेशक/प्रोप्राइटर एक ही परिवार के सदस्य है – ख्वाजा अब्दुल गदिर अहम बट, ख्वाजा मोहसिन अहमद और फरहान अहमद बट। इनमें से ख्वाजा मोहसिन अहमद एक ही समय में दो कंपनियों के निदेशक/प्रोप्राइटर के रूप में दर्ज है, जो सभी टेंडरों को रद्द करने का सबसे बड़ा आधार हो सकता था। लेकिन चूंकि पूरा हेर-फेर स्वास्थ्य मंत्री के संरक्षण में हुआ, इसलिए इन कंपनियों को हर बार टेक्निकल क्वालिफाई घोषित कर दिया गया।
बाबूलाल मरांडी ने पत्र में लिखा है कि सभी टेंडरों में इन कंपनियों की बोलियों में केवल कुछ हजार का अंतर पाया गया, जिससे स्पष्ट है दरें एक ही जगह से तय की गई। जब भी किसी चौथी कंपनी ने भाग लेने की कोशिश की, उसे तकनीकी आधार पर अयोग्य घोषित कर बाहर कर दिया गया। जो कंपनियां इस अपराधिक षडयंत्र का हिस्सा ना रही हो, उसे किसी भी तरह से पूरे चयन प्रकिया से ही बाहर कर दिया गया।
बाबू लाल मरांडी का कहना है कि मेडिकल क्षेत्र के जानकारों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कंपनियों को किए गये भुगतान बाजार में उपलब्ध समान सामान और सुविधाओं की वास्तविक कीमत से कहीं अधिक है। पूरी प्रक्रिया में निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा की अनदेखी कर सरकारी धन का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग और बंदरबांट किया गया। पूरी प्रक्रिया में जेम पोर्टल की नियमावली एवं प्रावधान (क्वाउज 29) का खुला उल्लंघन हुआ, जिसके अनुसार एक ही व्यक्ति/समूह से जुड़ी कंपनियों की बोलियां तकनीकी स्तर पर निरस्त होनी चाहिए थी। लेकिन यहां उल्टा इन्हें योग्य घोषित किया गया।
बाबूलाल मरांडी का कहना है कि इससे स्पष्ट होता है कि एक ही परिवार ने एक ही पते पर तीन कंपनियां बनाकर पूरे घोटाले को अंजाम दिया और प्रदेश के 11 जिलों के 11 टेंडरों को मैनेज करना तभी संभव है, जब यह पूरा खेल स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी के संरक्षण में हुआ हो। जेम पोर्टल की प्रक्रियानुसार यदि एक व्यक्ति दो या अधिक कंपनियां बनाकर बिडिंग में हिस्सा लेता है तो तकनीकी जांच के दौरान ही उसका टेंडर स्वतः निरस्त हो जाना चाहिए। लेकिन यहां तो नियमों को उलटकर अयोग्य कंपनियों को ही योग्य साबित कर भारी संख्या में टेंडर अवार्ड कर दिया गया।
बाबूलाल मरांडी ने इस पूरे प्रकरण के लिए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी को दोषी ठहराते हुए कहा कि बिना इनके संरक्षण के ऐसा संभव ही नहीं। मंत्री ने न केवल अपने विभाग में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया, बल्कि जानबूझकर अपने खास लोगों को टेंडर बांटे। बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि उन्हें पक्की सूचना है कि उपरोक्त तीनों कंपनियां मात्र शेल कंपनियां है, जो सिर्फ दिखावे के लिए बनाई गई हैं। वास्तविक लाभार्थी स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी से सीधे जुड़े कुछ दूसरे प्रभावशाली लोग हैं। अतः इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराकर पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच कराकर दोषियों को दंडित किया जाये।