अगर सिर्फ चुनावी जीत के लिए देश चलेगा, केन्द्र सरकार चलेगी तो इससे न लोकतंत्र मजबूत होगा और न ही संविधान की रक्षा हो पायेगीः सुप्रियो
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह देश लोकतंत्र में जीता है और इसी की बात करता है। लेकिन पिछले 11 वर्षों से जिस प्रकार लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं और लोकतांत्रिक संस्थाएं आगे बढ़ रही है, वो चिन्ताजनक है। सुप्रियो ने कहा कि कल देश के प्रधानमंत्री मणिपुर दौरे पर थे। जहां स्वतंत्र भारत के इतिहास में देश ने सबसे बड़ा जातीय हिंसा देखा। जहां 960 मौते हुई। चाहे वो आपसी संघर्ष से हो या पुलिस की फायरिंग से।
सुप्रियो ने कहा कि उस हिंसा में हजारों लोग घायल हुए। दस हजार से अधिक घर जल गये। कुकी और मैती दोनों आदिवासी समुदाय से आते हैं और दोनों आपस में लड़ते रहे। इस हिंसा का कारण था सांप्रदायिक राजनीति जो भाजपा करती रही है। मणिपुर जलता रहा और प्रधानमंत्री को वहां जाने में 870 दिन 29 माह लग गये। दिल्ली से इम्फाल जाने में मात्र 1700 किलोमीटर की दूरी तय करने में।
सुप्रियो ने कहा कि इतने ही दिनों में प्रधानमंत्री एक लाख 70 हजार किलोमीटर की दूरी तय करते हुए 44 देशों की यात्रा कर ली। लेकिन मणिपुर नहीं गये और जब गये तो वहां की स्थिति क्या है? लगभग 30 लाख की आबादी वाले इस राज्य में 50 हजार से ज्यादा लोग डिटेंशन कैंप में हैं। जो भारत सरकार की सुरक्षा में हैं। आश्रय गृहों में हैं और वहां जाकर प्रधानमंत्री घोषणा करते हैं कि वे सात हजार पक्का मकान बनाकर देंगे।
सुप्रियो ने कहा कि जब हालत इतने बिगड़े तो वहां के सीएम को एक साल पहले 2024 में इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन प्रधानमंत्री अपने मुख्यमंत्री के खिलाफ एक शब्द नहीं बोले। लेकिन जब हमने सोचा कि अचानक पीएम मोदी मणिपुर क्यों चले गये, क्योंकि प्रधानमंत्री तो मणिपुर को भारत के राज्य में ही नहीं मानते थे, तो पता चला कि मणिपुर में 2026 में बिहार के साथ चुनाव होनेवाला है और यह भी बात सत्य है कि जहां-जहां चुनाव होता है, हमारे प्रधानमंत्री वहां जरुर जाते हैं।
सुप्रियो ने यह भी कहा कि जहां चुनाव होता है, वहां जाकर वे सौगात बाटते हैं। जैसे लगता है कि यह सौगात उनका व्यक्तिगत है। जो वे सौगात के नाम पर बांटते हैं। दरअसल वो सरकार का पैसा है, हमारे-आप का पैसा है। हमारे टैक्स का पैसा है। हमारे श्रम और पैदावार का पैसा है। उन्होंने कहा कि ये बड़ा दुर्भाग्य है अगर चुनावी जीत के लिए देश चलेगा, केन्द्र सरकार चलेगी तो इससे न लोकतंत्र मजबूत होगा और न ही संविधान की रक्षा हो पायेगी।
सुप्रियो ने कहा कि अभी उत्तर-पूर्व के कई राज्यों के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं। जैसे – असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, बंगाल, तमिलनाडू, केरल और पुडूचेरी। 17 सितम्बर को बिहार भी जानेवाले हैं। क्योंकि इनकी प्राथमिकताओं में केवल चुनाव है। 870 दिन जो प्रदेश जला, वहां कैसे विश्वास पैदा होगा, जहां देश का नेता नहीं पहुंचता है। कैसे आपस में समन्वय स्थापित होगा। मणिपुर के भाजपा नेताओं के सार्वजनिक बयान आ रहे हैं। उनके सांसद-विधायक कह रहे हैं कि हमलोगों को आपस में बांट दीजिये।
सुप्रियो ने कहा कि जो बांटने की राजनीति प्रधानमंत्री ने शुरु की है। कभी धर्म देखकर, कभी लूंगी देखकर, कभी क्या देखकर, इससे देश आगे नहीं बढ़ सकता। हम भी आदिवासी स्टेट हैं। यहां कई आदिवासी साथ-साथ रहते हैं। उन पर भी इनकी नजर लग गई है। यहां भी जातीय द्वेष कराने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन झारखण्ड उनके मंसूबों पर ध्यान नहीं देता। यहां हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में लोग सामूहिकता के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
सुप्रियो ने कहा कि मणिपुर के साथ जो अब तक अन्याय हुआ। हम उसकी कड़ी शब्दों में निन्दा करते हैं। प्रत्येक मणिपुरी व्यक्ति को पुनः स्थापित करने की ओर केन्द्र सरकार का ध्यान होना चाहिए। उनकी जो भी जरुरते हैं, उन्हें मिलनी चाहिए, न कि केवल आश्वासन देकर केन्द्र अपनी पिंड छुड़ा लें।