सीएम आवास को घेरने की बात करनेवाले भाजपा नेताओं के पास इतने भी अब कार्यकर्ता नहीं कि डीसी कार्यालय में जाकर ज्ञापन भी दे सकें
चले थें सूर्या हांसदा को न्याय दिलाने, नगड़ी के आदिवासियों को जमीन वापस कराने के लिए प्रखण्डस्तरीय धरना प्रदर्शन करने, पर हुआ क्या? इन भाजपाइयों के पास तो कार्यकर्ताओं के ही टोटे पड़ गये। इनके पास हाथों पर गिनती करने के लिए विभिन्न महानगरों और प्रखण्ड कार्यालय पर नेता तो दिखे, लेकिन कार्यकर्ताओं का सर्वत्र अभाव दिखा।
मतलब साफ है कि इनके धरना-प्रदर्शन से इनके ही कार्यकर्ताओं ने कन्नी काट ली। नतीजा यह हुआ कि इनका धरना प्रदर्शन टायं-टायं फिस्स हो गया। अब जरा रांची में ही इनके आंदोलन का हाल देखिये। जिला स्कूल से इनका तथाकथित कारवां निकला और इसमें कार्यकर्ताओं या इनके समर्थक कितने थे। गिनती के ढाई सौ। वो भी स्पेशल ब्रांच के पुलिसकर्मियों को मिलाकर, जो नेता प्रतिपक्ष की सुरक्षा में लगे थे।
आप भाजपा द्वारा पेश किये गये फोटों को ही देख लीजिये। कार्यकर्ताओं और समर्थकों के टोटे ने इनके नेताओं की ऐसी परेशानी बढ़ाई कि नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी और सीपी सिंह के चेहरे का हाल सब कुछ बयां कर दिया। दोनों के चेहरे साफ मुरझाये हुए थे। राजनीतिक पंडितों की मानें तो भाजपा की हाल ऐसी कभी नहीं देखी गई। जैसा कि आज है।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि हेमन्त सोरेन की लोकप्रियता ने भाजपा के लोगों की ऐसी हाल कभी नहीं की थी। अब भाजपा के कार्यकर्ताओं में वो जोश व उत्साह नहीं दिख रहा। उसका मूल कारण भाजपा में गुटबाजी का चरम पर होना है। सारे के सारे कार्यकर्ता कई गुटों में बटें हैं। यानी पांच पूर्व मुख्यमंत्री और पांच गुट, सभी एक दूसरे को देख लेने में ज्यादा मशगूल हैं। साथ ही पार्टी में जमीन कारोबारियों व दागियों को मिली प्राथमिकता ने भी पार्टी का बेड़ा गर्क कर दिया है। ऐसे में इनके द्वारा सारे खड़े किये जानेवाले आंदोलनों का बंटाधार होना तो तय है ही।
भाजपा के ही एक बड़े कार्यकर्ता विद्रोही24 को बताते हैं कि केवल रांची महानगर में 17 मंडल हैं। एक मंडल में पदाधिकारी और कार्यसमिति सदस्य मिलाकर 50 से ज्यादा सदस्य होते हैं। मतलब सारे पदाधिकारी और कार्यसमिति सदस्य इन मंडलों के इस धरना प्रदर्शन में पहुंच जाते तो मजा आ जाता। लेकिन कोई आया ही नहीं।
ले देकर, गिने-चुने लोग पहुंचे और सारा धरना-प्रदर्शन का मजा किरकिरा कर दिया। साथ ही अपने विपक्षियों को बोलने का मौका भी दे दिया कि इनका धरना-प्रदर्शन की हवा निकल गई। ऐसे भी जब से हेमन्त सोरेन ने सत्ता संभाली है। भाजपा के नेताओं व कार्यकर्ताओं की शक्ति दिन-प्रतिदिन क्षीण होती जा रही हैं। किसी ने ठीक ही कहा है कि यही स्थिति रही तो 20 सालों तक हेमन्त सोरेन को झारखण्ड में कोई हिला नहीं सकता।