अपनी बात

प्रभात खबर के आशुतोष चतुर्वेदी के बाद न्यूज 11 का मालिक अरुप चटर्जी भी ‘आपदा में अवसर’ की तलाश ढूंढने नेमरा पहुंचा, हेमन्त के साथ वाली फोटो वायरल करवायें, बुद्धिजीवियों व पत्रकारों ने उठाई उंगलियां

जब से झारखण्ड के महान आंदोलनकारी दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन हुआ है और राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन इस घटना के बाद व्यथित हुए हैं। हेमन्त सोरेन के व्यथित होने की इस घटना को राज्य के कई अखबारों ने इसे ‘आपदा में अवसर’ के रूप में ले लिया है। कल इसी बात को लेकर विद्रोही24 ने ‘प्रभात खबर’ की कड़ी आलोचना की थी और अब अखबार के बाद एक चैनल ने भी इसी प्रकार की घटना को अंजाम दिया है।

इस चैनल का नाम न्यूज 11 है, जो राज्य का विवादास्पद चैनल माना जाता है। जब से इस चैनल के मालिक अरुप चटर्जी ने नेमरा जाकर हेमन्त सोरेन से मिलने की घटना को, अपने चैनल व चैनल में काम करनेवाले लोगों के साथ मिलकर इसे वायरल किया है। उसके बाद राज्य में भारतीय प्रशासनिक सेवा व भारतीय पुलिस सेवा में कार्यरत पदाधिकारियों की नींद उड़ गई है। नींद तो उन व्यवसायियों और ईमानदार अन्य अधिकारियों की भी उड़ गई हैं कि कहीं ऐसा नहीं कि फिर ये व्यक्ति मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की कृपा पाकर, अपना उल्लू न सीधा करने लगे।

देखा ये भी जा रहा है कि न्यूज 11 में कार्यरत कई संवाददाता इस घटना को अपने फेसबुक के माध्यम से खूब वायरल कर और करवा रहे हैं। जैसे एक संवाददाता अरुप चटर्जी और हेमन्त सोरेन के साथ-साथ वाली फोटो को वायरल कर लिखता है कि – ‘अपने तो अपने होते हैं।’ न्यूज 11 में ही काम करनेवाला एक संवाददाता लिखता है कि – ‘ये तस्वीर भावुक करने वाली है, तस्वीर बहुत कुछ कह रही है।’

इसी प्रकार न्यूज 11 में कार्यरत कई संवाददाता व कर्मचारी ने बहुत सारे डॉयलॉग लिखकर इस घटना को वायरल करने में जी-जान लगा दिया है। ताकि राज्य की जनता के साथ-साथ वे सारे वरीय पुलिस अधिकारी व प्रशासनिक अधिकारी जान लें कि अरुप चटर्जी का सीधा संवाद व सम्पर्क मुख्यमंत्री से हो चुका हैं। ज्ञातव्य है कि न्यूज 11 का मालिक अरुप चटर्जी हाल ही में कई महीनों तक धनबाद जेल में रह चुका है।

इस घटना के बाद से पत्रकारिता जगत व बुद्धिजीवियों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। सभी खुलकर कहने लगे हैं कि क्या अब यह भी होगा? लोग आपदा में अवसर का तलाश करेंगे। अपने गुनाहों की माफी मांगने का प्रबंध करेंगे। किसी के पिता के मृत्यु की शोक को भी न्यूज बनाकर व विभिन्न सोशल साइटों से वायरल करवाकर उसका भी लाभ लेने की कोशिश करेंगे। अगर ऐसा हैं तो फिर तो ये बहुत ही शर्मनाक घटना है।

आनेवाले समय में फिर सामान्य जनता का भगवान ही मालिक है। इस प्रकार की घटना के बाद कई लोगों ने खासकर बुद्धिजीवियों और पत्रकारों ने खुलकर सोशल साइट पर अपनी बातें लिखनी शुरू कर दी है। जिससे इस पेशा में रहनेवाले ईमानदार पत्रकारों का सिर शर्म से झूक जा रहा है।

हमें लगता है कि शायद यही कारण रहा होगा कि झारखण्ड के एक वरिष्ठ पत्रकार और रांची प्रेस क्लब के पूर्व संयुक्त सचिव आनन्द कुमार सोशल साइट फेसबुक पर लिखते हैं – “आज नेमरा में जो भीड़ उमड़ी, उसमें कार्यकर्ता, शुभचिन्तक, समर्थक और सहयोगी तो थे ही… मतलबी, चाटुकार और अवसरवादी भी थे… कुछ तो पाने के चक्कर में चेहरा दिखाने गये थे, तो कुछ गुनाह बख्शवाने भी पहुंचे थे।”

आनन्द कुमार के इस पोस्ट पर कई संभ्रांत पत्रकारों ने टिप्पणियां भी की है। जैसे वरिष्ठ पत्रकार सुनील सिंह लिखते हैं – ‘चाटुकारिता की होड़ लगी है। ऐसा लग रहा है कि हम पीछे न रह जाएं और कोई दूसरा सीएम का करीबी न बन जाए। बड़ी शर्मनाक स्थिति है।’

जैसे वरिष्ठ पत्रकार अक्षय तिवारी लिखते हैं – ‘आपदा में अवसर वाली बात है। यहां देश दुखी कम, फोटो खिंचवाना जरुरी है।’

जैसे वरिष्ठ पत्रकार परवेज कुरैशी लिखते हैं – ‘अभी यह सिलसिला जारी है।’ इसी प्रकार ऐसा लिखनेवालों की सूची लंबी है। जनता निर्णय करें। क्या सत्य है और क्या असत्य है। लेकिन डर तो लोगों में कल की घटना के बाद बन ही गया कि अब क्या होगा? और इस डर को खत्म करने का जिम्मा तो मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पर ही हैं। देखें, आगे क्या होता है?

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