अगर थोड़ी सी भी शर्म और हया बची है रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष एवं महासचिव व अन्य पदाधिकारियों तो आपको …
अगर थोड़ी सी भी शर्म और हया बची है रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष एवं महासचिव व अन्य पदाधिकारियों तो आपको चुल्लू भर पानी में डूब कर मर जाना चाहिए। आपने वो अपराध किया है कि वो अपराध अक्षम्य है। आप तो गलतियां पर गलतियां करते जाते हैं। लेकिन आपको शर्म नहीं आती। इन्हीं गलतियों में आप ऐसा महापाप कर बैठे, जिसकी कहीं कोई क्षमायाचना तक नहीं।
आप पूछेंगे कि आपलोगों ने कौन सा महापाप किया है। तो मैं बताता हूं कि वो महापाप क्या है? वो महापाप है वरिष्ठ दिवंगत पत्रकार अरुण रंजन को लेकर रांची प्रेस क्लब में पत्रकार समुदाय द्वारा आयोजित श्रद्धाजंलि समारोह के लिए आयोजकों से 999 रुपये लेना। जिसकी रसीद विद्रोही24 ने इसी समाचार में प्रमुखता से प्रकाशित कर दिया है।
इस कार्यक्रम में तो रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष सुरेन्द्र सोरेन व महासचिव अमर कांत भी मौजूद थे। यह कार्यक्रम तो पत्रकार समुदाय द्वारा आयोजित था। यह तो शोक-श्रद्धाजंलि कार्यक्रम था। ऐसे में पत्रकार समुदाय द्वारा आयोजित पत्रकारों के लिए ही बनाये गये क्लब में, इस शोक-श्रद्धाजंलि के लिए आपने आयोजकों से 999 रुपये क्यों लिये गये? कितने शर्म की बात है अरुण रंजन जैसे पत्रकार जो एकीकृत बिहार के शान थे। जिन्होंने कई संस्थानों में पत्रकारिता के कीर्तिमान स्थापित किये। उनके कार्यक्रम के लिए वो भी मात्र दो घंटे के लिए रांची के ही वरिष्ठ पत्रकार बिनय कुमार से 999 रुपये वसूल लिये।
इस कार्यक्रम में शामिल वरिष्ठ पत्रकार विनोद नारायण सिंह, वरिष्ठ पत्रकार फैसल अनुराग, वरिष्ठ पत्रकार विनय वर्मा से जब विद्रोही24 ने इस संबंध में बातचीत की। तब इन तीनों वरिष्ठ पत्रकारों ने स्वीकारा कि अरुण रंजन जी जैसे दिवंगत वरिष्ठ पत्रकार के श्रद्धाजंलि समारोह के लिए रांची प्रेस क्लब द्वारा पैसे लेना कहीं से भी उचित नहीं। यह गलत परम्परा की शुरुआत है। अपने देश की संस्कृति रही है कि हम दिवंगतों के नाम पर होनेवाले आयोजन के लिए पैसे नहीं लेते। आखिर प्रेस क्लब बना है किसके लिए पत्रकारों के लिए ही न और जब निवेदक में ही पत्रकार समुदाय लिखा हुआ है तो उसमें तो रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष व महासचिव भी आ गये। वे पत्रकार समुदाय से अलग कैसे हो गये?
एक ने कहा कि महासचिव अमर कांत का बयान अखबारों में आया कि अरुणजी की स्मृति को कायम रखने के लिए उनके नाम से एक अवार्ड शुरु होना चाहिए। अब सवाल उठता है कि जिस प्रेस क्लब में अरुण रंजन जी के श्रद्धाजंलि समारोह आयोजित करने के लिए शुल्क वसूले जाते हो। वहां अरुण रंजन जी के नाम पर क्या अवार्ड शुरु हो पायेगा? सवाल तो यह भी है।
कमाल की बात है, सोशल साइट पर रांची प्रेस क्लब के इन दोनों पदाधिकारियों ने अरुण रंजन जी के नाम पर खूब आंसू बहाये हैं। लेकिन उनके नाम पर आयोजित शोक-श्रद्धाजंलि समारोह में शामिल होने के बावजूद भी कैसे इनका दिल माना और ये आयोजकों से 999 रुपये वसूल लिये। ये सोचकर मानवीय मूल्यों में जिनका विश्वास है। वे सभी हैरान हैं।