जमशेदपुर के कई इलाकों में बाढ़ सा दृश्य, सरयू राय ने कहा स्लुइस गेट की नाकामी और प्रशासनिक विफलता से हुई ऐसी स्थिति
जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय ने कहा है कि खरकई और स्वर्णरेखा नदी के किनारे लगे स्लुइस गेटों के काम नहीं करने के कारण कदमा, सोनारी, बिष्टुपुर, मानगो के शांतिनगर, दाईगुट्टू के अनेक घरों में पानी घुसा। उन्होंने साफ-साफ कहा कि अगर स्लुइस गेट काम करते तो पानी नहीं घुसता। उन्होंने इसे प्रशासनिक विफलता माना।
जलग्रस्त इलाकों के दौरे के बाद यहां जारी एक बयान में सरयू राय ने कहा कि गीतांजलि अपार्टमेंट और ग्रीन पार्क एरिया के रहवासियों की भी परेशानी बढ़ी है। इसका मुख्य कारण है खरकई और स्वर्णरेखा नदी के किनारे बसे इलाकों में जो स्लुइस गेट लगाए गये, वो काम नहीं कर रहे हैं। बरसात के पहले इनकी मरम्मत नहीं हुई। नतीजा यह हुआ कि स्लुइस गेट लगाना निर्रथक हो गया। जिस पानी को रोकने के लिए स्लुइस गेट लगाए गये थे, वह पानी नालों में बह कर चला गया और घरों में जा घुसा। यह प्रशासनिक विफलता ही है।
सरयू राय ने कहा कि टाटास्टील ने मरीन ड्राइव तो ऊंचा बना दिया ताकि उसके भारी वाहनों का आना-जाना सुगम हो सके, लेकिन मरीन ड्राइव के किनारे बसी हुई बस्तियों की स्थिति कैसे सुधरेगी, इसके बारे में कंपनी ने कोई विचार नहीं किया। स्लुइस गेट का नाकाम होना यही साबित करता है कि जब बरसात का पानी मोहल्लों में घुसता है तब हम लोग जागरुक होते हैं। जैसे ही बरसात खत्म होती है, फिर से प्रशासन और कंपनी अपने पुराने ढर्रे पर लौट आती है। टाटा स्टील और प्रशासन को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि बस्तियों में पानी न घुसे, इस दिशा में काम करना चाहिए लेकिन अफसोस की बात है कि इस पर कोई ध्यान नहीं देता।
श्री राय ने कहा कि वह पिछले कई वर्षों से कह रहे हैं कि बरसात के पहले स्लुइस गेटों की मरम्मत हो जानी चाहिए। उनका परीक्षण हो जाना चाहिए कि वे काम कर रहे हैं या नहीं। हर स्लुइस गेट पर एक हाईपावर पंपसेट लगाना चाहिए ताकि बस्तियों के नालों के पानी को निकाल कर नदी में फेंका जा सके। यह काम हुआ नहीं।
सरयू राय ने कहा कि अब नदी धीरे-धीरे सिकुड़ती जा रही हैं। टोलब्रिज से लेकर मानगो तक नदी की चौड़ाई में काफी कमी आई है। 2008 के पहले टोल ब्रिज के पास जितना पानी में अगर जलस्तर एक फीट ऊंचा होता था, आज 4 से 5 फीट जलस्तर ऊंचा हो ररहा है। दोनों तरफ से नदी के किनारों को मजबूत करने के लिए स्वर्णरेखा परियोजना, जलसंसाधन विभाग और टाटा स्टील ने भी प्रयास किया। इसी का नतीजा है कि नदी की चौड़ाई कम हो गई और जलस्तर ऊपर जा रहा है जिसके कारण मोहल्लों में तेज गति से पानी आ रहा है।
उन्होंने कहा कि उनकी पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त से वार्ता हुई। उपायुक्त ने उनसे कहा कि जिन घरों में पानी गया है, उन सभी घरों के लोग सामुदायिक भवनों में ठहरें। उनके लिए भोजन की व्यवस्था की जा रही है। उम्मीद है कि इस बरसात में लोगों को जो दिक्कत हो रही है, वह अगली बरसात में नहीं होगी।