पासवा का दावा, उसके आंदोलन का असर ‘कोचिंग सेंटर कंट्रोल एंड रेगुलेशन बिल 2025’ के माध्यम से झारखंड में कोचिंग माफियाओं पर लगाम कसने को तैयार हेमन्त सरकार
झारखंड में पिछले कई वर्षों से कोचिंग संस्थानों की मनमानी, छात्रों का आर्थिक शोषण, गलत एवं झूठे वायदे एवं फर्जी आंकड़े पेश कर अभिभावकों से मोटी फीस वसूलने जैसी घटनाएं सामने आती रही हैं। इस गंभीर मुद्दे पर पहली बार पब्लिक स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन (पासवा) द्वारा संगठित रूप से आवाज़ उठाई गई। इस अभियान का नेतृत्व पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने किया, जिन्होंने राज्य के हज़ारों छात्रों और उनके अभिभावकों की आवाज़ को मजबूती से सरकार तक पहुँचाया।
श्री दूबे ने हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि राज्य में कोचिंग संस्थानों के लिए एक सख्त और पारदर्शी नियमावली बनाई जाए। अपने पत्र में उन्होंने स्पष्ट किया कि कैसे कई बाहरी व्यक्ति और संस्थान झारखंड आकर “कोचिंग” के नाम पर छात्रों का शोषण कर रहे हैं।
ये लोग शुरुआत में बड़े-बड़े वादे करते हैं, मोटी फीस वसूलते हैं और फिर या तो अचानक शहर छोड़कर चले जाते हैं या फिर बहुत ही घटिया गुणवत्ता वाली शिक्षा देकर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं। इससे न केवल अभिभावक आर्थिक रूप से टूट जाते हैं, बल्कि छात्रों की मानसिक स्थिति भी प्रभावित होती है। इस बाबत दूबे ने दो कोचिंग संस्थान क्रमश: गोल कोचिंग संस्थान एवं फिटजी के ऊपर डोरण्डा थाना में प्राथमिकी भी दर्ज करवाई थी।
श्री दूबे ने मांग की थी कि राज्य सरकार को ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। कोचिंग चलाने से पहले सभी संस्थानों का अनिवार्य पंजीकरण होना चाहिए, ताकि हर संस्था की पहचान सरकार के पास हो। साथ ही, फीस की अधिकतम सीमा तय की जानी चाहिए ताकि कोई भी संस्था मनमानी वसूली न कर सके। उन्होंने यह भी प्रस्ताव दिया कि जिला और राज्य स्तर पर एक रेगुलेटरी कमिटी बनाई जाए जो कोचिंग संस्थानों की गतिविधियों की निगरानी करे और यदि कोई संस्थान नियमों का उल्लंघन करता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जाए।
इन सभी सुझावों और पासवा द्वारा लगातार किए गए जन-जागरूकता अभियानों का असर अब सामने आ रहा है। झारखंड सरकार ने घोषणा की है कि वह जल्द ही ‘कोचिंग सेंटर कंट्रोल एंड रेगुलेशन बिल 2025’ विधानसभा के मानसून सत्र में प्रस्तुत करेगी। इस बिल में कोचिंग संस्थानों की पंजीकरण प्रक्रिया, बुनियादी ढांचा, फीस नियंत्रण, बैंक गारंटी और अभिभावकों की लिखित सहमति जैसे कई आवश्यक प्रावधान शामिल होंगे। इस पहल का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि झारखंड के छात्रों का शैक्षणिक और आर्थिक शोषण रोका जा सके और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुलभ बनाई जा सके।
पासवा का यह स्पष्ट मानना है कि शिक्षा सेवा है, व्यापार नहीं। जब तक शिक्षा व्यवस्था पारदर्शी और न्यायसंगत नहीं होगी, तब तक छात्रों का समुचित विकास संभव नहीं है। यह आंदोलन अब सिर्फ एक संगठन का नहीं, बल्कि पूरे राज्य के छात्रों और अभिभावकों की आवाज़ बन चुका है।