हूल आंदोलन के महानायक सिदो-कान्हु एवं चांद-भैरव को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दी श्रद्धांजलि
अमर वीर शहीद सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो और हजारों वीर शहीदों के संघर्ष और समर्पण के पदचिन्हों पर चलने वाले बाबा दिशोम गुरुजी अभी अस्वस्थ हैं। इस कारण भोगनाडीह की क्रांतिकारी, वीर भूमि पर नहीं आ पाया हूं। यह वक्तव्य है राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का। हेमन्त सोरेन का कहना है कि 1855 में स्वतंत्रता की लड़ाई में अग्रगण्य रहे इन महापुरुषों को वे हृदय से श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
उन्होंने कहा कि हूल दिवस उनके लिए सिर्फ एक दिन का कार्यक्रम नहीं है। हूल दिवस उनके लिए संकल्प का दिन है, हूल उनकी ताकत है, हूल उनकी पहचान है। उन्होंने एक्स के माध्यम राज्यवासियों से कहा कि आने वाले समय में आदिवासी धर्म कोड, आदिवासी संस्कृति, भाषा, सभ्यता और पहचान के लिए हूल उलगुलान होगा।
सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो को याद करने के क्रम में, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के साथ गांडेय विधायक कल्पना सोरेन, विधायक रामगढ़ ममता देवी, विधायक टुंडी मथुरा प्रसाद महतो, विधायक सारठ उदय प्रताप सिंह उर्फ चुन्ना सिंह, विधायक खिजरी राजेश कच्छप और पूर्व विधायक के एन त्रिपाठी भी उपस्थित रहे।