राजनीति

आरएसएस और चुनाव आयोग के बीच संधि, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के साथ-साथ अब मताधिकार पर भी हमलाः सुप्रियो

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने झामुमो कार्यालय में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेस में कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और चुनाव आयोग की संधि बनी है, जो समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और नागरिकों के मताधिकार के मौलिक अधिकारों को कैसे छीना लिया जाय, इस पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि एक ओर देश में जनगणना की बात हो रही है तो दूसरी ओर मताधिकार को छीनने का प्रयास किया जा रहा है।

सुप्रियो ने कहा कि एक ओर चुनाव आयोग का टैग लाइन है – कोई मतदाता छूटे नहीं और दूसरी ओर बिहार में मतदाताओं को चुनाव में भाग लेने से रोकने के लिए व्यापक तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने एक तुगलकी फरमान जारी किया है। आठ करोड़ बिहार के मतदाताओं को एक महीने के अंदर उनसे बिहारी होने का प्रमाण मांगा जा रहा है। आश्चर्य यह भी है कि उसके लिए न तो आधार और न ही चुनाव आयोग द्वारा दी जानेवाली इपिक नंबर को मान्यता दी जा रही है। बिहार के मतदाताओं को कहा गया है कि 2003 में निर्वाचक मंडल में उनका नाम था या नहीं, उसका प्रमाण दीजिये।

सुप्रियो ने कहा कि मतदाताओं से अब उनके माता-पिता का जन्म बिहार में हुआ या नहीं, उसका प्रमाण मांगा जा रहा है। मतलब बिहार की चुनाव प्रक्रिया को इतना जटिल बनाने का काम किया जा रहा है, इतना अफरातफरी मचाने की कोशिश की जा रही है, ताकि बिहार में होनेवाली विधानसभा चुनाव को टालकर वहां राष्ट्रपति शासन लागू करने की स्थिति बना दी जाये।

सुप्रियो ने कहा उधर आरएसएस के महामंत्री होसबोले साहेब ने कह दिया कि संविधान की प्रस्तावना से समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता को हटा दिया जाये, क्योंकि ये दोनों शब्द संविधान की प्रस्तावना में 1976 में समायोजित किये गये। सुप्रियो ने कहा कि 1973 में सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आया था जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान की प्रस्तावना संविधान का आइना है, अगर इसमें छेड़छाड़ की गई तो संविधान ने जो जनता को मौलिक अधिकार दिये हैं, वो छिन्न-भिन्न हो जायेगा। सुप्रियो ने कहा कि संविधान में जो अनुसूची तीन है। उसमें आर्टिकल 12 से 35 तक जनता के फंडामेंटल राइट की बात कही गई है। उसमें 14 से 18 में समानता और 25 से 28 तक पंथ निरपेक्षता की बात आई है।

सुप्रियो ने कहा बाबा साहेब ने संविधान सभा में कहा था कि यह संविधान एक जीवन पद्धति है। इस संविधान में जो स्वतंत्रता या समानता की बात कही गई है, उस स्वतंत्रता को न तो समानता से और न ही समानता को स्वतंत्रता से अलग किया जा सकता है। लेकिन यहां संविधान के साथ-साथ मताधिकार पर भी एक साथ हमला करने की तैयारी चल रही है।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के चुनाव के समय वोटरों को बढ़ाने का काम किया गया था और बिहार में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए वोटरों को कम करने की तैयारी पर काम किया जा रहा है। बिहार में ज्यादातर काम-काज को लेकर बाहरी राज्यों में जाते हैं और चुनाव के समय कुछ दिनों के लिए अपने यहां आते हैं। ऐसे में एक महीने के अंदर चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों को बिहारी भला कैसे पूरा कर पायेंगे।

सुप्रियो ने कहा कि झारखण्ड में भी कुछ ऐसा ही करने की इनलोगों की तैयारी चल रही है। यानी अब ईडी नहीं, ईसी आयेगा। निर्वाचक मंडलों को कम करेगा। हम कह देना चाहते हैं कि यहां कोई घटाव-बढ़ाव हम होने नहीं देंगे। देश का लोकतंत्र और संविधान का नुकसान यहां नहीं होने देंगे।

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