गिरिराज सिंह द्वारा झारखण्ड को बारुद का ढेर कहना यहां की शांतिप्रिय नागरिकों, मेहनतकशों व आदिवासियों का घोर अपमानः आलोक दूबे
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव आलोक कुमार दूबे ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बयानों को पूरी तरह भ्रामक, असंवेदनशील और झारखंड विरोधी करार दिया है। उन्होंने कहा कि गिरिराज सिंह का बयान न केवल राज्य की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है, बल्कि यह भाजपा की राजनीतिक हताशा और बौखलाहट का प्रमाण है।
आलोक दूबे ने कहा कि झारखंड को “बारूद का ढेर” कहना यहां के शांतिप्रिय नागरिकों, मेहनतकश आदिवासियों और युवाओं का घोर अपमान है। उन्होंने कहा, “गिरिराज सिंह जैसे नेता, जो न्यायपालिका के बारे में भी अभद्र टिप्पणी कर सकते हैं, उनके मुंह से झारखंड पर ऐसे बयान आना आश्चर्यजनक नहीं है। ये वही व्यक्ति हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट जैसी सर्वोच्च संस्था पर भी हल्की भाषा का प्रयोग किया, जिससे उनकी मानसिकता और भाषा की मर्यादा का स्तर स्पष्ट होता है।”
दूबे ने गिरिराज सिंह के “थेथरोलॉजी” वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा, “ये थेथरोलॉजी नहीं, भाजपाई ढकोसलॉजी है — जिसमें तथ्य कम और झूठ का प्रचार अधिक होता है। गिरिराज सिंह हर बार चौंकाने वाले बयान देकर जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाने का प्रयास करते हैं।”
गिरिराज सिंह द्वारा हेमंत सोरेन को “भाई-भतीजावाद का प्रतीक” कहे जाने पर आलोक दुबे ने सीधा हमला करते हुए कहा, “जो पार्टी खुद भाई-भतीजावाद की गंगोत्री है, वो दूसरों पर उंगली उठा रही है। आज़ादी के बाद शायद पहली बार देश ने देखा कि कैसे गृह मंत्री अमित शाह ने अपने बेटे को बीसीसीआई का सचिव बनवा दिया। भाजपा में योग्यता नहीं, नज़दीकी और निष्ठा के आधार पर पद मिलते हैं। ऐसे में हेमंत सोरेन पर उंगली उठाने का नैतिक अधिकार भाजपा को नहीं है।”
दुबे ने कहा कि गिरिराज सिंह आदिवासियों के अस्तित्व की बात करते हैं, लेकिन उनकी पार्टी ने आज तक पेसा कानून को पूरे देश में सही ढंग से लागू नहीं किया। उन्होंने पूछा, “क्या बिहार, उत्तर प्रदेश और अन्य भाजपा शासित राज्यों में आदिवासियों को उनका हक मिला है?” हेमंत सरकार लगातार आदिवासी अधिकारों की रक्षा, वन अधिकार, और स्थानीय संस्कृति के संरक्षण के लिए प्रयास कर रही है, जो भाजपा को रास नहीं आ रहा।
आलोक दूबे ने कहा कि गिरिराज सिंह जैसे नेता बार-बार उत्तेजक बयान देकर जनता को गुमराह करने की साजिश करते हैं। “झारखंड की जनता जानती है कि कौन उनके लिए सड़क, शिक्षा, स्वाभिमान और संरक्षण की बात कर रहा है, और कौन सिर्फ जुमलों और जहर से राजनीति कर रहा है।”