अपनी बात

क्या कहते हैं भारतीय नक्षत्रः पुष्य और श्लेषा में मध्यम बारिश होने के अनुमान, पुनर्वसु में सुवृष्टि के योग, बाकी नक्षत्र भी अपना कमाल दिखायेंगे

मौसम वैज्ञानिकों की बात मानें तो इस बार पूरे भारत में समय से पहले मानसून आ गया और इस बार अच्छी बारिश की भी बात उनके द्वारा कही गई है। लेकिन भारतीय नक्षत्रों की गणना करें तो ज्यादातर नक्षत्रों में वायु के साथ बारिश की बात तो कही गई हैं। लेकिन दो नक्षत्रों में मध्यम बारिश होने की अनुमान कही जा रही है।

ये दो नक्षत्र हैं पुष्य और श्लेषा। पुष्य 20 जुलाई को सायं 5.13 मिनट से प्रारंभ होगा, जो 3 अगस्त तक रहेगा। जबकि इसके तुरन्त बाद श्लेषा 3 अगस्त को ही सायं 5.34 से प्रारंभ होगा। जिसमें मध्यम बारिश होने की अनुमान है। यानी न अधिक बारिश होगी और न कम ही बारिश होगी। ले-देकर मध्यम बारिश होने की अनुमान है।

जबकि पुनर्वसु जो 6 जुलाई को दिन के 3.47 से प्रारंभ होगा। इस नक्षत्र में अच्छी बारिश (सुवृष्टि) होने की बात कही गई हैं। दूसरी ओर अन्य नक्षत्रों में किसी भी नक्षत्र में सुवृष्टि या अतिवृष्टि के योग नहीं हैं। सभी नक्षत्रों में वायु के साथ वृष्टि की बात मात्र कही गई है। अर्थात बारिश सभी नक्षत्रों में कमोबेश अवश्य होगी। भारतीय नक्षत्रों के आगमन और उनके समय तथा किस प्रकार के योग बन रहे हैं, वो नीचे दे दिये गये हैं …

क. आर्द्रा – 22 जून को दिन 2.12 से प्रारंभ – वायु वृष्टि योग।

ख. पुनर्वसु – 6 जुलाई को दिन 3.47 से प्रारंभ – सुवृष्टि योग।

ग. पुष्य – 20 जूलाई को रात्रि सायं 5.13 से प्रारंभ – मध्यम वृष्टि योग।

घ. श्लेषा – 3 अगस्त को सायं 5.34 से प्रारंभ – मध्यम वृष्टि योग।

ड. मघा – 17 अगस्त को सायं 4.22 से प्रारंभ – वायु वृष्टि योग।

च. पूर्वा फाल्गुन – 31 अगस्त को दिन 1.12 से प्रारंभ – वायु वृष्टि योग।

छ. उत्तरा फाल्गुन – 14 सितम्बर को प्रातः 7.13 से प्रारंभ – वायु वृष्टि योग।

ज. हस्त – 27 सितम्बर को रात्रि 10.36 से प्रारंभ –वायु वृष्टि योग।

झ. चित्रा – 14 अक्टूबर को दिन 11.08  से प्रांरभ – सामान्य वायु वृष्टि योग।

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