बाबूलाल मरांडी का मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पर सीधा प्रहार एक आईपीएस अफ़सर जिस पर भ्रष्टाचार, पक्षपात और फ्रॉड का आरोप हो, कोई भी सरकार अपने राज्य और जनता की सुरक्षा उसके हवाले कैसे कर सकती है?
नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने प्रदेश भाजपा कार्यालय में प्रेस कांफ्रेस कर राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पर सीधा प्रहार करते हुए कहा कि एक आईपीएस अफ़सर जिस पर भ्रष्टाचार, पक्षपात और फ्रॉड का आरोप हो, कोई भी सरकार अपने राज्य और जनता की सुरक्षा उसके हवाले कैसे कर सकती है? बाबूलाल मरांडी का इशारा सीधे राज्य के पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता को लेकर था। उन्होंने अपनी ओर से उन पर लगाये गये भ्रष्टाचार, पक्षपात और फ्रॉड को लेकर कई प्रमाण भी पत्रकारों को दिये।
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि 1990 बैच के आईपीएस अनुराग गुप्ता के ऊपर आरोपों की लिस्ट काफ़ी लंबी है। उन पर बिहार के जमाने में Magadh university police station case number 64/2000, Under section 420, 467, 468, 471, 474, 109, 116, 119, 120(B) and 201 of IPC AND section 13 of prevention of corruption act का केस हुआ था।
उन्होंने यह भी कहा कि जहां तक उन्हें स्मरण है कि उनके मुख्यमंत्रित्व काल के अंतिम दिनों में उस मामले में prosecution sanction के लिये बिहार से अनुरोध पत्र भी आया था। उस पर आगे क्या हुआ इसका उन्हें स्मरण नहीं है। राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ख़ुद इन्हें 24 फ़रवरी 2020 से 9 मई 2022 (26 महीने) तक निलंबित किये रखा। लेकिन इस दौरान हेमंत सोरेन और अनुराग गुप्ता की नज़दीकियाँ इतनी बढ़ीं कि सस्पेंशन की अवधि ख़त्म होते ही हेमंत सोरेन ने अनुराग गुप्ता को वापस झारखंड में ही नियुक्ति दे दी।
हेमंत का अनुराग गुप्ता के प्रति नफ़रत के अचानक निकटता में बदलने के वजह के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई तो पता चला कि इनकी नियुक्ति की शर्त यह थी कि उन्हें झारखंड में ईडी के मुकदमों को मैनेज करना होगा और सरकार के भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले गवाहों पर झूठे केस चलाकर दबाव बनाना होगा। तभी से यह अटूट साझेदारी चली आ रही है। वरना झारखंड प्रशासन में वरिष्ठ और योग्य आईपीएस अफ़सरों की कोई कमी न तो पहले थी, न ही आज है।
अनुराग गुप्ता के प्रयास से ईडी के अफ़सरों को डराने और काम से रोकने के लिये तीन-तीन मुकदमे पुलिस में दर्ज करवाये गये। जिनके जांच और कार्रवाई पर हाईकोर्ट को रोक लगानी पड़ी है। अभी हाल में ईडी के तीन गवाहों को पुलिस केस कर जेल भेजा गया। राज्य सेवा के कुछ अफसर जिनके बयान एवं कार्रवाई पर ईडी ने कारवाई कर बड़ी मछलियों को पकड़ा वैसे अफ़सरों पर एसीबी और पुलिस के ज़रिये कार्रवाई कर उन पर ईडी के खिलाफ बोलने का दबाव बनाया जा रहा है।
उन्होंने सीधे सवाल दागते हुए कहा कि क्या कारण है कि जनवरी 2025 से अब तक पूजा सिंघल, छवि रंजन, आलमगीर आलम समेत दस से भी ज़्यादा सरकारी लोगों पर prosecution Sanction के लिये ईडी ने झारखंड सरकार को अनुरोध भेजा हुआ है। लेकिन एक भी मामले में झारखंड सरकार ने अबतक sanction नहीं दिया है।
2024 में चुनाव आयोग ने डीजीपी अनुराग गुप्ता को अपने पद का दुरुपयोग करने का दोषी पाया और उन्हें हटाकर दूसरे डीजीपी की नियुक्ति की। लेकिन हद तो तब हो गई जब मुख्यमंत्री बनने के कुछ घंटों के अंदर ही हेमंत सोरेन ने अनुराग गुप्ता को डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार दे दिया।
कोर्ट के आदेश की अवहेलना करके अनुराग गुप्ता को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया। फिर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद 7 जनवरी को आनन-फानन में ऑल इंडिया सर्विस रूल्स (1958) को दरकिनार करते हुए सरकार ने डीजीपी की नियुक्ति के लिए एक नई नियमावली ही बना डाली।
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि ऑल इंडिया सर्विस नियमों के अनुसार, सरकार को डीजीपी की नियुक्ति के लिए पैनल की अनुशंसा यूपीएससी को भेजनी होती है, किंतु झारखंड सरकार ने अपनी मर्ज़ी के नियम बनाकर यह ज़िम्मेदारी ख़ुद ही ले ली। यह भली-भांति जानते हुए कि अनुराग गुप्ता 30 अप्रैल को रिटायर होने वाले हैं, सरकार ने सारे नियम-क़ानूनों को धत्ता बताते हुए 3 फ़रवरी को उन्हें झारखंड का डीजीपी नियुक्त कर दिया। जानबूझकर रिटायरमेंट के दो महीने पहले नियुक्ति करना दर्शाता है कि वे नियुक्ति के बाद कम से कम दो साल डीजीपी बनाए रखने वाले नियम का इस्तेमाल अपने राजनीतिक फ़ायदे के लिए कर रहे हैं।
उन्होंने इस असंवैधानिक नियुक्ति के संदर्भ में गृह मंत्रालय ने झारखंड सरकार को जो पत्र लिखा है, उसका जवाब में हेमंत सोरेन गृह मंत्रालय को ही पुनर्विचार करने को बोल रहे हैं। सरकार नियमों को ताक पर रखकर संवैधानिक पदों की गरिमा समाप्त कर रही है। और यह सिर्फ़ डीजीपी की नियुक्ति तक ही सीमित नहीं है — झारखंड में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और सीआईडी का कार्यभार भी ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से यही संभाल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अनुराग गुप्ता के कार्यकाल में कोयले की चोरी में बेतहाशा वृद्धि हुई है। भ्रमण के दरम्यान जब धनबाद इलाक़े में उन्हें लोगों ने बताया कि उस इलाक़े से रोज़ाना पांच सौ ट्रक से भी ज़्यादा कोयले की चोरी हो रही है तो उन्होंने यह बात सरकार के संज्ञान लाया। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही। इस मामले में तो उस इलाक़े से आने वाले विधायक जयराम महतो जी ने तो यहॉं तक कह दिया कि उन्हें( बाबुलाल जी की) जानकारी कम है, वहाँ तो रोज़ाना सात सौ से आठ सौ ट्रक कोयले की चोरी हो रही है।
जब वर्तमान में झारखंड की सुरक्षा और क़ानून व्यवस्था तालीबानी हुकूमत की तरह ऐसे व्यक्ति के हाथ में सौंप दिया जाए, जिस पर भ्रष्टाचार के आरोप, अपने पद का दुरुपयोग करने के आरोप और धोखाधड़ी के आरोप लगे हों — तो राज्य का भविष्य कैसा होगा, यह आप सभी भी अच्छे से समझ सकते हैं। सत्ता का ऐसा दुरुपयोग हेमंत सोरेन के राज में ही संभव है।