धर्म

परमहंस योगानन्द इस धरा पर ईश्वर व अपने गुरुजनों का संदेश व योगदा सत्संग जीवन शैली लेकर आये थे – गौतमानन्द

रांची स्थित योगदा सत्संग मठ में आयोजित रविवारीय सत्संग में जुटे योगदा भक्तों को संबोधित करते हुए ब्रह्मचारी गौतमानन्द ने कहा कि हमारे गुरु परमहंस योगानन्द जी इस धरा पर ईश्वर व अपने गुरुजनों के संदेश लेकर आये। योगदा सत्संग जीवन शैली लेकर आये। आध्यात्मिक प्रगति के जो मूल सिद्धांत हैं, उसे लेकर आये, ताकि हमारा जीवन आध्यात्मिक पथ पर चलकर ईश्वर के साथ एकाकार हो सके।

उन्होंने कहा कि परमहंस योगानन्दजी ने स्पष्ट रुप से कहा है कि ध्यान के द्वारा ही हम ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं और इसके लिए निरन्तर अभ्यास की आवश्यकता होती हैं, बिना अभ्यास के, बिना ध्यान के लिए समय निकाले हम ईश्वर को प्राप्त नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि जैसे हम अपनी पसंद की चीजों को पाने के लिए समय निकाल लेते हैं, ठीक उसी प्रकार हमें ध्यान के लिए समय निकालना ही होगा और इसे प्राथमिकता में रखना होगा। उन्होंने कहा कि यह ध्यान अगर समूह में हो तो और ज्यादा बेहतर है।

ब्रह्मचारी गौतमानन्द के अनुसार, ध्यान के साथ-साथ हमें सत्कर्म पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने सत्कर्म को परिभाषित करते हुए कहा कि सत्कर्म वहीं हैं, जिस कर्म को ईश्वर को समर्पित कर दिया गया हो। उन्होंने सभी से कहा कि आप कोई भी कर्म करें, चाहे वो जॉब से संबंधित हो या रोजमर्रे के काम सभी कामों को ईश्वर को समर्पित करते हुए करेंगे तो आप पायेंगे कि सफलता भी मिलेगी और ईश्वरीय आनन्द से भी आप ओत-प्रोत होंगे।

ब्रह्मचारी गौतमानन्द ने कहा कि ध्यान, सत्कर्म के साथ-साथ हमारे अंदर सद् आचरण भी होने जरुरी है। उन्होंने कहा कि गौतम बुद्ध ने कहा था कि जैसा हम सोचते हैं, परिणाम भी उसी अनुरुप प्राप्त होते हैं। उन्होंने कहा कि याद रखें कि परिस्थितियां कैसी भी हो, हर हाल में ईश्वर को याद करते हुए हमें मुस्कुराना सीखना चाहिए।

उन्होंने सभी से कहा कि योगदा सत्संग से जुड़े जो लेशन्स है, वो सामान्य लेशन्स नहीं हैं, उसमें योगदा से जुड़े गुरुओं का स्पन्दन भी हैं, जो हमें आशीर्वाद के रुप में प्राप्त होता है। लेशन्स का निरन्तर अभ्यास करिये। उन लेशन्स में दिये गये पाठ को याद करिये, चिन्तन करिये तभी आप उसके मूल रुप का रसास्वादन कर पायेंगे और अपने जीवन को बेहतर बना पायेंगे। सामान्य पुस्तकों की तरह यहां के लेशन्स को पढ़कर आप स्वयं को बेहतर नहीं बना सकते। इसके लिए आपको समय देना होगा और चिन्तन करना होगा।

उन्होंने कहा कि ईश्वर वैश्विक नियमों से बंधे नहीं हैं, वे इन सभी से उपर हैं, उनके लिए कुछ भी असंभव नहीं, इसलिए उनसे प्रेम करना सीखिये, प्रेम के द्वारा ही उन्हें प्राप्त कर सकते हैं, अपनी भक्ति को ऐसी उच्च अवस्था में ले जाइये, जिससे ईश्वर आपके निकट आने को विवश हो। ब्रह्मचारी गौतमानन्द ने इसी बात को समझाने के लिए देवर्षि नारद से जुड़ी एक कथा भी सुनाई, जो सभी के मन को भा गई।