दो वर्ष हेमन्त सरकार के, 2020 में नाम कमाया और 2021 के समाप्त होते-होते सब कुछ गंवा दिया

हेमन्त सरकार ने दो वर्ष पूरे कर लिये है, इस दो वर्ष पूरा करने की खुशी में जैसा कि, सभी

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हेमन्त जी बचिये अपने सलाहकारों से, अगर यही हाल रहा तो ये आपको तीस से 03 पर ले आयेंगे

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के इंडिया कांफ्रेस में झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा – आदिवासी न हिन्दू था और न हिन्दू है। जैसे ही उन्होंने ये वाक्य कहे, लोग अपने-अपने ढंग से इसका अर्थ निकाल रहे हैं। अर्थ निकालना भी चाहिए, क्योंकि हार्वर्ड के माध्यम से हेमन्त सोरेन ने एक राजनीतिक बयान देकर, विवाद को ही जन्म दिया है। इन दिनों ऐसे भी भारत में कुछ ऐसी कम्यूनिटियां पैदा हो गई हैं, जिन्हें हिन्दू नाम से ही चिढ़ हैं, और ऐसे लोगों को खाद-पानी देने का काम वे वामपंथी व कांग्रेसी करते हैं,

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अवसरवादियों को अपनी किताबों की, पर मंच पर बैठे दिशोम गुरु को आज भी झारखण्ड की चिन्ता सता रही थी

क्योंकि गुरुजी तो गुरुजी है, उन्हें पहले चालाकी नहीं आयी तो आज वे क्या चालाकी करेंगे? जिन्हें नाटक करना था, उन्होंने खूब नाटक किया, खुब मुंह चमकाये, हाथ भांजे, चिल्लम-पो की। उस नाटक को देख प्रभावित हुए, कार्यक्रम का संचालन कर रहे पटना से आयातित एंकर ध्रुव कुमार ने तो प्रभात खबर के कार्यकारी संपादक एवं तीन किताबों के लेखक अनुज कुमार सिन्हा को भारत के किसी भी विश्वविद्यालयों से डी. लिट की मानद उपाधि देने की अपील तक कर दी।

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जनहित में झारखण्ड लैंड म्यूटेशन एक्ट 2020 में उल्लेखित विवादितों से हेमन्त सरकार जितना जल्द दूरी बना ले, उतना ही अच्छा है

इससे अच्छा तो बिहार लैंड म्यूटेशन एक्ट 2011 है, जहां बिहार के नागरिकों को उनके अधिकार सुरक्षित है, जहां कोई भी बिहार का नागरिक अपने जमीन के मामले में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी दिखने पर वह अंचलाधिकारी समेत भू-राजस्व से संबंधित किसी भी अन्य अधिकारी के खिलाफ थाने में प्राथमिकी या न्यायालय में अपनी शिकायते दर्ज करा सकता है। लेकिन झारखण्ड लैंड म्यूटेशन एक्ट 2020 में इस पूरे मामले को उठा लिया जाना, या इसमें अतिरिक्त प्रावधान जोड़ दिया जाना

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पहली बार झारखण्ड में न डायरी, न कैंलेन्डर और न दूरभाष निर्देशिका, बिना इन तीनों के चल पड़ा झारखण्ड, जनता से कैसे बनेगा संबंध?

किसी भी राज्य में नये साल के आगमन के पूर्व ही, वहां की सरकार राज्य की जनता से बेहतर संबंध बनाने के लिए नये साल की डायरी, नये साल का कैलेन्डर और दूरभाष निर्देशिका जारी कर देती है, ताकि नये साल में लोगों को उन तमाम मंत्रियों/नेताओं/अधिकारियों/संस्थानों के सम्पर्क नंबर प्राप्त हो जाये, जिनसे लोगों का सम्पर्क बराबर होता रहता है।

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पूर्व की घोषणाओं की तरह, एक और झूठ का सामना करिये, अब 2020 तक 24 घंटे गांवों में बिजली

पहला झूठ – दिसम्बर 2018 तक अगर 24 घंटे बिजली नहीं उपलब्ध करा सका, तो वोट मांगने नहीं आउंगा। दूसरा झूठ – एक अगस्त के बाद से रांची में जीरो पावर कट बिजली, नहीं तो सबको सुधार दुंगा। और लीजिये अभी पन्द्रह दिन भी नहीं हुए, स्वतंत्रता दिवस पर एक और घोषणा राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कर दी कि 2020 तक गांवों में 24 घंटे बिजली मिलेगी।

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