परमहंस योगानन्द का योग, अंतिम नहीं है बल्कि यह प्रवेश द्वार है, उस परमपिता परमेश्वर तक पहुचंने का…

जय गुरु। पहली बार रांची मेरा पदार्पण 4 जून 1985 को हुआ था, क्योंकि 5 जून को मेरी शादी रांची में थी। मेरी पत्नी उस वक्त योगदा सत्संग विद्यालय की नौंवी कक्षा की छात्रा थी, उनके हाथों में कई बार योगी कथामृत मैंने देखा था, पर कभी पढ़ नहीं सका। उसी समय से कभी कभार योगदा सत्संग आश्रम में आना – जाना लगा रहा, कभी योगदा सत्संग द्वारा चलाये जा रहे औषधालय गया तो कभी योगदा सत्संग द्वारा चलाये जा रहे मोतियाबिंद के आपरेशन में शामिल हुआ।

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नीतीश ने मोदी को बताई अपनी मन की बात, शांति और सद्भाव के महत्व को समझाया

पूरे देश में फैल रही सांप्रदायिकता और खासकर बिहार में दो संप्रदायों में पनप रहे अलगाव के बीज ने शायद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अंदर से झकझोर दिया है। आज मोतिहारी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में वहां की जनता को संबोधन के क्रम में, उन्होंने कह दिया कि विकास के साथ-साथ देश में शांति और सद्भाव भी उतना ही जरुरी है और इसके बिना विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

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