जो गांधी-बिरसा को जानेगा, वो यह कभी कह ही नहीं कह सकता कि आदिवासी हिन्दू नहीं हैं

यह शत प्रतिशत सत्य है जो भी महात्मा गांधी अथवा भगवान बिरसा मुंडा को जानेगा, समझेगा, उनके प्रति अटूट विश्वास रखेगा, वो कभी नहीं कह सकता कि आदिवासी हिन्दू नहीं हैं और जो ऐसा कहता है, उसे कोई अधिकार नहीं कि वह महात्मा गांधी अथवा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती अथवा पुण्य तिथि पर उनकी समाधिस्थल या प्रतिमा पर माल्यार्पण करें या श्रद्धांजलि दे, क्योंकि एक तरफ महात्मा गांधी अथवा भगवान बिरसा मुंडा के चित्रों पर माल्यार्पण और दूसरी ओर उनके विचारों का खून करते हुए यह कहना कि आदिवासी हिन्दू नहीं हैं,

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जिन धर्मांध लोगों को देश में लोकतंत्र खतरे में दिखाई पड़ता हैं वे या तो चुनाव लड़ें या देश छोड़ें

जिस भी धर्मांध व्यक्ति या धार्मिक संस्थानों को भारत में लोकतंत्र खतरे में दिखाई पड़ता है, उसे भारत छोड़कर चले जाना चाहिए, और वहां रहने की कोशिश करनी चाहिए, जहां उसे लगता है कि लोकतंत्र सुरक्षित है, क्योंकि दिल्ली के आर्चबिशप अनिल क्यूटो ने राष्ट्रीय राजधानी के सभी पादरियों को एक चिट्ठी लिखकर जो संदेश दिया है, वह भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरे का संकेत है

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