“सरकार के भरोसे रहकर हम अपने व्यक्तिगत सामाजिक उत्तरदायित्वों से पीछे नहीं भाग सकते” मतलब साथी हाथ बढ़ाना

इस देश में ऐसे युवाओं की कमी नहीं, जो अपने सपने को पूरा करने और कुछ अलग करने के लिए बंधी-बंधाई नौकरी तक छोड़ देते हैं। लेकिन क्या सोचा है कि इस कोविड काल में ऐसे युवा किन परेशानियों से दो चार हो रहे हैं। आइये, हम आपको जमशेदपुर के साकची में फ़ूड स्टॉल संचालिका पूनम सिंह के हालात से रूबरु कराते हैं जो आज अपने बच्चे के स्कूल की फीस भी नहीं भर पा रही हैं।

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वरिष्ठ पत्रकार व लेखिका अन्नी अमृता की लिखी पुस्तक “ये क्या है?” का जमशेदपुर में लोकार्पण

लेखिका व पत्रकार अन्नी अमृता के अनुभवों और असल जीवन के कई महत्वपूर्ण कहानियों का मिश्रित संग्रह “ये क्या है?” का मंगलवार को जमशेदपुर के साकची स्थित होटल में औपचारिक लोकार्पण संपन्न हुआ। पुस्तक का लोकार्पण बतौर मुख्य अतिथि राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष कल्याणी शरण, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित चिन्मया विद्यालय (टेल्को) की पूर्व प्राचार्या विपिन शर्मा, साहित्यकार डॉ. रागिनी भूषण, शिक्षाविद त्रिपुरा झा, डॉ. अनिता शर्मा, एमएनपीएस की प्रिंसिपल आशु तिवारी, डॉ. कल्याणी कबीर ने संयुक्त रूप से किया।

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एक ब्राह्मण ने जमशेदपुर साकची में स्थित अम्बेदकर प्रतिमा को अपने हाथों से साफ किया

आम तौर पर विभिन्न दलित तथा विभिन्न तथाकथित स्वयंसेवी संगठनों, पिछड़ों तथा अतिपिछड़ों के नाम पर राजनीति करनेवाले विभिन्न संगठनों और उनके नेताओं की ये धारणा रहती है कि ब्राह्मण वर्ग दलितों को सम्मान नहीं देता अथवा उनके महापुरुषों को सम्मान नहीं करता, पर सच्चाई देखा जाय, तो इस तरह का भेदभाव अब आधुनिक समाज में नहीं देखने को मिलता।

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