अपनी भावपूर्ण कथाओं के माध्यम से बहुत याद आयेंगे भागवताचार्य संत श्रीमणीषभाई जी महाराज

15 मई को महाराष्ट्र के चंद्रपूर से रांची के चुटिया अयोध्यापुरी में भागवत कथा सुनाने के लिए, भागवताचार्य संत श्रीमणीष भाई जी महाराज पहुंचे। भागवत कथा का आयोजन भागवत सेवा समिति अयोध्यापुरी, चुटिया, रांची के लोगों ने किया था। 15 मई से लेकर 23 मई तक चलनेवाली इस भागवत कथा में अयोध्यापुरी, विन्ध्यवासिनी नगर, द्वारकापुरी, कृष्णापुरी, लोअर चुटिया, अपर चुटिया के श्रद्धालुओं ने खुब जमकर आनन्द लिया

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रांची के चुटिया में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ एवं पंचकुंडीय महायज्ञ संपन्न

रचना है तो रचनाकार है और वो आधार परब्रह्म हैं। जितने भी संसार में अणु हैं और जो एक दूसरे को आकर्षित करते हैं, वे कृष्ण के अस्तित्व को स्वीकार करते हैं। श्रीमद्भागवत कहता है कि श्रीकृष्ण आनन्द को ही कहते है। वहीं एकमात्र सच्चिदानन्द स्वरुप हैं। श्रीकृष्ण ही आकर्षण के केन्द्र है। संसार में कोई भी व्यक्ति हो या वस्तु, सभी को प्रेम और आनन्द चाहिए। प्रेम राधा है तो श्रीकृष्ण आनन्द।

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भक्त हो तो सुदामा और मित्र हो तो भगवान श्रीकृष्ण जैसा, जो अपने मित्रों पर सारा ऐश्वर्य लुटा दे

रांची के चुटिया अयोध्यापुरी स्थित वृंदावनधाम में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन महाराष्ट्र से पधारे भागवताचार्य संत श्रीमणीषभाई जी महाराज ने कहा कि प्रत्येक भगवान के भक्त को सुदामा की तरह बनना चाहिए, और प्रत्येक मित्र को भगवान श्रीकृष्ण जैसा होना चाहिए, जो अपने मित्र पर सारा ऐश्वर्य लुटा दें। पूरे संसार में आज तक भगवानश्रीकृष्ण और सुदामा जैसी मित्रता कही देखने को नहीं मिलती।

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रांची में वृंदावन का सुख पा रहे रांची के चुटियावासी, श्रीकृष्ण रचित महारास के आनन्द में डूबे

जब आप अहंकार में रहेंगे तो ईश्वर को कैसे पायेंगे? ईश्वर को पाने के लिए अहंकार का परित्याग करना होगा, क्योंकि अहंकार ईश्वर को पसंद नहीं, जब आपको स्वयं पर ज्यादा भरोसा हो जाता है तो ईश्वर आपसे बहुत दूर हो जाते हैं, पर जैसे ही आप स्वयं का परित्याग कर यह कहने लगते है कि इसमें मेरा कुछ नहीं, सब प्रभु का किया हुआ है, प्रभु ही सब कुछ हैं, जिन्होंने हमें उपकृत किया हैं

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जो दुसरों को आनन्द दें, वही नन्द बाबा और जो दुसरों को यश प्रदान करें वही मां यशोदा

ईश्वर के पास पहुंचने का नाम उत्सव है। ईश्वर के उत्सव में मजा नहीं होता, क्योंकि जहां मजा होता है, वहां सजा का भी प्रावधान है, पर ईश्वर के उत्सव में सिर्फ आनन्द ही आनन्द है। भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव एवं उनके बाललीलाओं की चर्चा करते हुए श्रीमद्भागवत कथा के आज पांचवे दिन रांची के चुटिया अयोध्यापुरी में निर्मित वृंदावनधाम में महाराष्ट्र से पधारे भागवताचार्य संत मणीष भाईजी महाराज ने कहा कि जीवात्मा नन्दबाबा है,

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कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः।।

रांची के चुटिया अयोध्यापुरी स्थित वृंदावनधाम में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में देर रात तक लोग भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव में डूबे रहे। वृंदावनधाम में ऐसा लगा, जैसे मानो स्वर्ग धरती पर उतर आया हो, लोगों ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म प्रसंग में दीपावली मनाई, नन्दोत्सव के दौरान लूटाएं जा रहे नाना प्रकार के मिठाइयों और उपहारों को पाने के लिए भक्तों व श्रद्धालुओं में होड़ सी दिखी,

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अच्छा इन्सान बनने के लिए भक्तिमार्ग अपनाएं, श्रीमद्भागवत कथा सुने और सुनाएं

रांची के चुटिया स्थित वृंदावनधाम में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन वामन अवतार और भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव की धूम रही। महाराष्ट्र से पधारे भागवताचार्य संत मणीषभाई जी ने भगवान वामन एवं भगवान श्रीराम के जीवन के माध्यम से बताया कि आखिर श्रीमद्भागवत एक सामान्य व्यक्ति से कहना क्या चाहता है। उन्होंने बड़े ही सरल शब्दों में कहा भागवत सिर्फ यहीं कहता है कि जब आप भक्तियोग में रमते हैं तो आप पर ईश्वरीय कृपा होती है,

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रांची में श्रीमद्भागवत की अविरल भक्ति धारा को बहा रहे हैं महाराष्ट्र के संत मणीषभाई

रांची के चुटिया अयोध्यापुरी स्थित नवनिर्मित वृंदावनधाम में महाराष्ट्र से आये भागवताचार्य मणीषभाई जी महाराज ने संध्या वेला में कपिल चरित, ध्रुव चरित और प्रह्लाद चरित से भागवत भक्तों का परिचय कराया। इन चरित्रों के द्वारा भक्ति की ऐसी अविरल धारा बही की लोग सुध-बुध खो बैठे। मणीषभाई जी महाराज ने कपिल चरित के माध्यम से जहां भारत के गौरव का भान कराया, वहीं महिलाओं के सम्मान की भी बातें कहीं।

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मंगल और चंद्र पर जाने की, वहां रहने की सोच रहे, पर वैकुंठ में बसने की योजना नहीं बना रहे

रांची के चुटिया अयोध्यापुरी में नवनिर्मित वृंदावनधाम में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के आज तीसरे दिन महाराष्ट्र से आये भागवताचार्य संत मणीषभाई जी महाराज ने ज्ञान की महत्ता, यक्षयुधिष्ठिरस्यो वार्ताः, सृष्टि की रचना, वाराह अवतार की विस्तार से चर्चा की और इस चर्चा के माध्यम से भागवत कथा का आनन्द ले रहे श्रोताओ को जीवन का सार बताया। उन्होंने बताया की जीवात्मा का धरती पर आने का मकसद क्या होता हैं?

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कलयुग में सतयुग लावा, अप्पा हरि गुण गावा, हरिस्मरण से ही कलयुग में आनन्द की प्राप्ति

अभी कलियुग के तो मात्र पांच हजार वर्ष ही बीते हैं, ये कहना कि जल्दी सतयुग आ जायेगा, संभव नहीं, फिर भी अगर आप सतयुग लाना चाहते है, शीघ्र लाना चाहते है, तो उसके लिए बस कलियुग में एक ही उपाय है, हरिस्मरण करिये, उनके गुणों को गाइये, निरन्तर उन पर दृढ़ विश्वास से श्रद्धा के साथ उन्हें पाने की कोशिश करिये, निःसंदेह सतयुग आ जायेगा।

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