अखबारों-चैनलों के मालिकों/संपादकों के कारनामों का असर, झारखण्ड में श्मशान की ओर चल पड़ी पत्रकारिता
नेता, पत्रकार और अधिकारियों के भ्रष्टाचार में संलिप्त होने का प्रभाव देखिये, झारखण्ड में श्मशान की ओर पत्रकारिता चल पड़ी है। चित्ता सज चुकी है। बस अर्थी से उसे उठाकर चित्ता पर रख देना है, फिर कोई भी उसमें आग लगा दें, क्या फर्क पड़ता है, चित्ता तो चित्ता हैं, धू-धू कर जल पड़ेगी। जब मैं बड़े-बड़े शिक्षण संस्थाओं में पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे युवाओं/युवतियों व वहां पत्रकारिता का कोर्स करा रहे मगरमच्छों को देखता हूं तो सोचता हूं कि ये मगरमच्छ कौन सी शिक्षा इन्हें दे रहे होंगे और वे युवा ले रहे होंगे?
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