असामाजिक, अनैतिक, भ्रष्ट, अपराधी स्वभाव, कारपोरेट जगत व पूंजीपतियों की पहली पसंद हो गई भाजपा

बात 60-70 के दशक की है, जब भाजपा दूसरे नामों से जानी जाती थी, हालांकि लोकसभा व विधानसभाओं में इस पार्टी के इक्के-दूक्के विधायक हुआ करते थे, पर इनके नेताओं की जादूगरी आम जनता के बीच सर-चढ़कर बोला करती थी। जब यह पार्टी 1980-1990 के दशक में भारतीय जनता पार्टी के रुप में उभरी, तब भी यह पार्टी अन्य पार्टियों की तुलना में कुछ अलग दिखती थी।

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आखिर भाजपा विरोधी गोलबंदी की हवा कौन निकाल रहा है? कांग्रेस, JVM, JMM या वामपंथी पार्टियां

कुछ दिन पहले तक ऐसा प्रतीत हो रहा था कि झारखण्ड में भाजपा सरकार के खिलाफ जो नाराजगी है, कहीं लोकसभा चुनाव में उन्हें खाता खोलने में भी न मुश्किल हो जाये। विपक्षी पार्टियों की लामबंदी जिसमे कांग्रेस से वामपंथी सभी एक साथ दिख रहे थे, महागठबंधन का यह स्वरूप भाजपा विरोधी जमात की बड़ी एकता दिखाई पड़ती थी। भाजपा के लिए इस महागठबंधन की एका को भेदना मुश्किल था।

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CPI-ML ने दी महागठबंधन को चेतावनी, जनता के साथ भाजपा की तरह झांसा-पट्टी न करें, नहीं तो…

भाकपा माले के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद ने महागठबंधन के लोगों द्वारा कोडरमा संसदीय सीट को लेकर दिये गये बयान पर कहा कि वे जनता के साथ भाजपा की तरह झांसा-पट्टी कर रहे हैं। वामपंथी पार्टियां तो हेमंत के बुलावे पर सहमति जताई थी कि भाजपा को हराने के लिए गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगें, लेकिन गठबंधन के बड़े साझीदारों ने ही आपस में हिस्सा बांट लिया और वामपंथी दलों को कहा कि उनके लिए विधानसभा में सोचेंगे।

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सिल्ली और गोमिया में झामुमो की बल्ले-बल्ले, दोनों सीटों पर तीर-कमान की जीत सुनिश्चित

सिल्ली और गोमिया में झामुमो की बल्ले-बल्ले है। दोनों सीटों पर तीर-कमान की धूम हैं। झामुमो ने सिल्ली और गोमिया की जनता के बीच एक बार फिर अपनी जोरदार पहचान बना ली है। दुसरी ओर झामुमो को कांग्रेस, झाविमो, राजद तथा अन्य वामपंथी पार्टियों द्वारा मिले सहयोग ने सिल्ली और गोमिया की चुनाव को एकतरफा बना दिया है। यहां झामुमो को सहयोग दे रही पार्टियां और उनके कार्यकर्ताओं के बीच एक नारा खुब चल रहा है।

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