असामाजिक, अनैतिक, भ्रष्ट, अपराधी स्वभाव, कारपोरेट जगत व पूंजीपतियों की पहली पसंद हो गई भाजपा
बात 60-70 के दशक की है, जब भाजपा दूसरे नामों से जानी जाती थी, हालांकि लोकसभा व विधानसभाओं में इस पार्टी के इक्के-दूक्के विधायक हुआ करते थे, पर इनके नेताओं की जादूगरी आम जनता के बीच सर-चढ़कर बोला करती थी। जब यह पार्टी 1980-1990 के दशक में भारतीय जनता पार्टी के रुप में उभरी, तब भी यह पार्टी अन्य पार्टियों की तुलना में कुछ अलग दिखती थी।
Read more