स्पीकर दिनेश उरांव ने खोया विश्वास, विपक्षी नेताओं ने बैठक को किया नजरदांज
जिस राज्य का विधानसभाध्यक्ष सदन के प्रति समर्पित न होकर, सत्तारुढ़ दल के प्रति समर्पित हो जाता है, वह विधानसभाध्यक्ष अपना सम्मान ही नहीं खोता, बल्कि वह पूरे सदन का विश्वास भी खो देता है, जिसका परिणाम है, स्पीकर द्वारा बुलाये गये बैठक का विपक्षी दलों द्वारा नजरंदाज करना, उसमें शामिल न होना या कह लीजिये कि एक तरह से विपक्षी दलों ने बहिष्कार ही कर दिया।
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