10 जून को रांची दंगे में पुलिसिया एक्शन को लेकर रांची की एक बहुत बड़ी आबादी रांची पुलिस के साथ
दस जून को रांची के एकरा मस्जिद से लेकर डेली मार्केट तक की सड़कों पर एक समुदाय के दंगाइयों द्वारा
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Read moreरांची पुलिस को आखिरकार सफलता मिल ही गई। बिहार के टेकारी गया से पत्रकार बैजनाथ महतो पर जानलेवा हमला करनेवाला
Read moreतस्वीरें झूठ नहीं बोलती। यह तस्वीर है धनबाद के अतिव्यस्ततम इलाके सरायढेला की। जहां एक पुलिसकर्मी बड़े ही शान से बुलेट की सवारी का मजा ले रहा है। आश्चर्य है कि वो बड़े ही शान से बुलेट चलाये जा रहा है, पर उसने अपने सिर पर हेलमेट नहीं पहन रखी है, अब ये हेलमेट उसने क्यों नहीं पहनी, ये वो जानें। पर कोई ये बता दें कि अगर सामान्य आदमी बिना हेलमेट के इस प्रकार की सवारी करें तो वर्तमान में इस कोरोना काल में झारखण्ड की पुलिस उसके साथ क्या कर रही है,
Read moreरांची पीटीआइ के ब्यूरो प्रमुख पीवी रामानुजम की आत्महत्या की वजहों को जानना हर पत्रकार के लिए जरुरी है, साथ ही आत्महत्या की वजहों को पता लगाना और जनता के समक्ष सही-सही रखना रांची पुलिस की नैतिक जिम्मेदारी भी बन जाती है, क्योंकि पत्रकार बुद्धिजीवी वर्ग में आता है, अगर कोई पत्रकार आत्महत्या कर रहा है, तो उसकी कुछ न कुछ वजह अवश्य होगी। बिना वजह के कोई जीवन से मुक्ति क्यों पाना चाहेगा?
Read moreरांची की एक महिला पत्रकार पर उन्हीं के घर वालों ने कल जानलेवा हमला कर दिया। महिला पत्रकार की मां ने इसकी लिखित शिकायत लालपुर थाने में जाकर की, तथा अपने ही बेटों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराया। सूत्र बता रहे हैं कि आज भी उक्त महिला पत्रकार के साथ उसके भाइयों ने जमकर मारपीट की, पर उसके बावजूद भी उस महिला पत्रकार की सुरक्षा के लिए रांची पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया, आखिर रांची पुलिस उक्त महिला पत्रकार को कब सुरक्षा प्रदान करेगी, जब उसके साथ कोई अनहोनी घटना घट जायेगी तब?
Read moreआज एक बार फिर रांची के सहजानन्द चौक पर गरीबों का गुस्सा देखने को मिला। ये सड़कों पर उतरे टायर जलाया और गुस्से में सड़कों पर बैठ गये। फिर क्या था, अति महत्वपूर्ण इलाके में सड़क जाम होने से स्थानीय प्रशासन के हाथ-पांव फूल गये, क्योंकि यही वह इलाका है, जिस रास्ते से होकर भीभीआइपी अपने गंतव्य स्थानों के लिए आते-जाते हैं।
Read moreजब से नये ट्रैफिक जूर्माने तय हुए हैं, पुलिस अधिकारियों की बल्ले-बल्ले हैं, नेताओं व अधिकारियों की भी बल्ले-बल्ले हैं, क्योंकि नेता व अधिकारी अच्छी तरह जानते हैं कि उनकी गाड़ियों द्वारा किये जा रहे ट्रैफिक नियमों की अवहेलना पर जूर्माना करने की ताकत किसी को नहीं हैं, क्योंकि ये ट्रैफिक पुलिस उसी वक्त इन महान आत्माओं की गाड़ियों को सुरक्षा देकर अपने – अपने क्षेत्रों से निकालने के लिए बाध्य होते हैं, वह भी सैल्यूट देकर।
Read moreपूरे राज्य में ट्रैफिक के नये जुर्माने से तंग लोगों का आक्रोश अब धीरे-धीरे विभिन्न स्थानों पर दिखने लगा है, लोगों का गुस्सा इस बात को लेकर हैं, कि जिन लोगों पर दारोमदार है ट्रैफिक जुर्माने वसूलने का, जब वे ही ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, तो वे किस आधार पर जनता के खिलाफ चालान काट रहे हैं। कुछ लोगों ने तो इसे ट्रैफिक आतंकवाद की भी संज्ञा दे डाली है।
Read moreसवाल हमारा झारखण्डियों से हैं, उन आंदोलनकारियों के वंशजों से हैं, क्या ये झारखण्ड इसलिए बना था कि उनके पूर्वज आनेवाले समय में, वह भी तब, जबकि झारखण्ड अस्तित्व में आ जायेगा तो उनकी प्रतिमा धूल-धूसरित होंगी, उन्हें खंडित किया जायेगा, उनका अपमान किया जायेगा और अगर नहीं तो ये कौन लोग हैं, जो झारखण्ड के अमर नायकों की प्रतिमा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
Read moreकांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय ने रघुवर सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इस राज्य में कानून व्यवस्था चौपट है, अपराधी मस्त हैं, जनता त्रस्त हैं और पुलिस पस्त है। उन्होंने कहा कि शायद देश में झारखण्ड पहला राज्य है, जहां न तो पुलिस राज्यपाल की सुनती है और न तो मुख्यमंत्री की सुनती है, ऐसे में राज्य की जनता, अपना फरियाद किसे सुनाएं। गत 3 अप्रैल को राज्यपाल ने डीजीपी को बुलाकर कड़ी फटकार लगाई
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