जो दुसरों को आनन्द दें, वही नन्द बाबा और जो दुसरों को यश प्रदान करें वही मां यशोदा
ईश्वर के पास पहुंचने का नाम उत्सव है। ईश्वर के उत्सव में मजा नहीं होता, क्योंकि जहां मजा होता है, वहां सजा का भी प्रावधान है, पर ईश्वर के उत्सव में सिर्फ आनन्द ही आनन्द है। भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव एवं उनके बाललीलाओं की चर्चा करते हुए श्रीमद्भागवत कथा के आज पांचवे दिन रांची के चुटिया अयोध्यापुरी में निर्मित वृंदावनधाम में महाराष्ट्र से पधारे भागवताचार्य संत मणीष भाईजी महाराज ने कहा कि जीवात्मा नन्दबाबा है,
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