जो दुसरों को आनन्द दें, वही नन्द बाबा और जो दुसरों को यश प्रदान करें वही मां यशोदा

ईश्वर के पास पहुंचने का नाम उत्सव है। ईश्वर के उत्सव में मजा नहीं होता, क्योंकि जहां मजा होता है, वहां सजा का भी प्रावधान है, पर ईश्वर के उत्सव में सिर्फ आनन्द ही आनन्द है। भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव एवं उनके बाललीलाओं की चर्चा करते हुए श्रीमद्भागवत कथा के आज पांचवे दिन रांची के चुटिया अयोध्यापुरी में निर्मित वृंदावनधाम में महाराष्ट्र से पधारे भागवताचार्य संत मणीष भाईजी महाराज ने कहा कि जीवात्मा नन्दबाबा है,

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कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः।।

रांची के चुटिया अयोध्यापुरी स्थित वृंदावनधाम में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में देर रात तक लोग भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव में डूबे रहे। वृंदावनधाम में ऐसा लगा, जैसे मानो स्वर्ग धरती पर उतर आया हो, लोगों ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म प्रसंग में दीपावली मनाई, नन्दोत्सव के दौरान लूटाएं जा रहे नाना प्रकार के मिठाइयों और उपहारों को पाने के लिए भक्तों व श्रद्धालुओं में होड़ सी दिखी,

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अच्छा इन्सान बनने के लिए भक्तिमार्ग अपनाएं, श्रीमद्भागवत कथा सुने और सुनाएं

रांची के चुटिया स्थित वृंदावनधाम में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन वामन अवतार और भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव की धूम रही। महाराष्ट्र से पधारे भागवताचार्य संत मणीषभाई जी ने भगवान वामन एवं भगवान श्रीराम के जीवन के माध्यम से बताया कि आखिर श्रीमद्भागवत एक सामान्य व्यक्ति से कहना क्या चाहता है। उन्होंने बड़े ही सरल शब्दों में कहा भागवत सिर्फ यहीं कहता है कि जब आप भक्तियोग में रमते हैं तो आप पर ईश्वरीय कृपा होती है,

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रांची में श्रीमद्भागवत की अविरल भक्ति धारा को बहा रहे हैं महाराष्ट्र के संत मणीषभाई

रांची के चुटिया अयोध्यापुरी स्थित नवनिर्मित वृंदावनधाम में महाराष्ट्र से आये भागवताचार्य मणीषभाई जी महाराज ने संध्या वेला में कपिल चरित, ध्रुव चरित और प्रह्लाद चरित से भागवत भक्तों का परिचय कराया। इन चरित्रों के द्वारा भक्ति की ऐसी अविरल धारा बही की लोग सुध-बुध खो बैठे। मणीषभाई जी महाराज ने कपिल चरित के माध्यम से जहां भारत के गौरव का भान कराया, वहीं महिलाओं के सम्मान की भी बातें कहीं।

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भाव, गति, विवेक और तत्व का सम्मिश्रण हैं श्रीमद्भागवत, इसमें डूबकी लगाइये, ईश्वर को प्राप्त करिये

रांची के चुटिया अयोध्यापुरी स्थित वृंदावनधाम में आज दूसरे दिन भागवत कथा का आनन्द लेने बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र से पधारे भागवताचार्य संत श्रीमणिष भाईजी महाराज ने कहा कि दरअसल भागवत भाव, गति, विवेक और तत्व का सम्मिश्रण है, जो भागवत में डूबकी लगायेगा, उसे भाव, गति, विवेक और तत्व चारों प्राप्त होंगे और जब ये चारों प्राप्त होंगे तो फिर उस व्यक्ति को ईश्वर प्राप्ति से कोई रोक भी नहीं सकता।

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