धिक्कार है, उन राजनीतिक दलों, चैनलों-अखबारों को जो लाशों में भी जाति व धर्म देख, अपना उल्लू सीधा करते हैं
कभी-कभी मैं सोचता हूं कि कुछ दिनों पहले जैसे कांग्रेस समर्थित शासित महाराष्ट्र में साधुओं की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई, और अब शत प्रतिशत कांग्रेस शासित राजस्थान में एक ब्राह्मण को जिन्दा जला दिया गया, इन दोनों जगहों पर अगर भाजपा का शासन होता और मरनेवालों में कोई दलित या अल्पसंख्यक होता तो क्या देश के अखबारों, चैनलों, पोर्टलों, कांग्रेसियों, वामदलों, जनसंगठनों, तथाकथित स्वयं को सेक्यूलर बतानेवाले लोग इसी तरह चुप्पी साधे रहते?
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