बाल मंडली की दुर्गापूजा यानी दुर्गापाठ और मानसपाठ के माध्यम से अध्यात्म की ओर प्रथम प्रवेश
भाई वो हमलोगों का जमाना था, जब टमटम की जगह छोटी-छोटी टैक्सियां ले रही थी, बैलगाड़ियों की जगह करीब-करीब ट्रैक्टर और ट्रक ने ले लिए थे। खेतों से रेहट, लाठा-कुड़ी, नहरों से करींग एक तरह से गायब होने के कगार पर थे, और उनकी जगह पर पम्पिंग सेट ने ले लिये थे। उस वक्त न तो किसी के घर में टीवी था और न ही मोबाइल फोन, ले-देकर हमारे मुहल्ले में दो ही के घर में फोन थे, एक नन्दा साव और दूसरे राजेन्द्र प्रसाद के पास।
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