लो जी, अब झारखण्ड सरकार पाकिस्तान तक सड़क नहीं बनायेगी, देवघर की जिला परिषद् ने शुद्धि पत्र निकालकर ये बातें कहीं

आपको याद होगा, कल यानी 16 मई को विद्रोही24 डॉट कॉम ने एक खबर छापी। खबर की हेडिंग थी –

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प्रभात खबर व दैनिक जागरण ने भी ‘महापर्व छठ के अर्घ्य के समय’ को लेकर वही पाप किया है, जो दैनिक भास्कर ने किया

जिन-जिन छठव्रतियों अथवा छठव्रतियों के परिवार के लोगों ने दैनिक भास्कर ही नहीं, प्रभात खबर और दैनिक जागरण को भी

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ब्लैकमेलर पत्रकार के खिलाफ तीन साल पहले ऑनलाइन शिकायत करने के बाद भी प्राथमिकी दर्ज नहीं, HC ने मांगी अद्यतन रिपोर्ट

तीन साल पहले एक ब्लैकमेलर पत्रकार के खिलाफ झारखण्ड उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता अभय कुमार मिश्रा ने ऑनलाइन प्राथमिकी

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ट्विट के माध्यम से गुस्सा रहे बाबूलाल को भी स्वीकारना होगा कि भाजपा शासनकाल में भी पत्रकारों को झूठे मुकदमें में फंसा, शोषण किया गया

झारखण्ड के प्रथम मुख्यमंत्री व वर्तमान में भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी गुस्से में हैं। वे जमकर ट्विटर

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प्रभात खबर को गलतफहमी, वो है तो हेमन्त की सत्ता है, वो संतुष्ट नहीं तो सरकार भी नहीं, CM हेमन्त से जुड़ी खबरों को अपने अखबार में नहीं दी जगह

रांची से प्रकाशित प्रभात खबर को लगता है कि वो मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से जुड़ी समाचारों को अपने अखबारों में

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“प्रभात खबर” ने कोबाड घांदी की आपत्तियों को स्वीकारा, अपने अखबार में फिर से उनके बयान को छापकर, अपनी गलतियां सुधारी

प्रभात खबर ने एक तरह से अपनी गलती स्वीकार कर ली। जिस बयान पर मार्क्सवादी विचारक कोबाड घांदी को आपत्ति

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कोबाड घांदी का बयान – मैंने नहीं कहा, “माओवादी भी अब भ्रष्टाचारी हो गये हैं” प्रभात खबर ने झूठी खबर छापी, स्पष्टीकरण छापे अखबार

मार्क्सवादी विचारक कोबाड घांदी को इस बात पर आपत्ति है कि जो बातें उन्होंने कही ही नहीं, उन बातों को

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क्या CM हेमन्त से ED के द्वारा पूछे जानेवाले सवाल ‘प्रभात खबर’ व ‘दैनिक भास्कर’ ने तैयार किये थे या जब ED के लोग CM हेमन्त से सवाल पूछ रहे थे तो दोनो अखबारों के प्रतिनिधि भी वहां मौजूद थे?

भाई, जब से मैंने रांची से प्रकाशित आज का अखबार ‘प्रभात खबर’ व ‘दैनिक भास्कर’ देखा है। मेरा दिमाग घुम

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महापर्व छठ को लेकर बिहार/झारखण्ड के अखबारों/चैनलों के पास बतकुचन/बकैती के सिवा और क्या हैं?

सबसे पहले छठ को लेकर अखबारों या चैनलों में छपनेवाले या दिखाये जानेवाले बतकुचनों पर ध्यान दीजिये… रांची से प्रकाशित

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उसे सारा शहर ‘लायन’ के नाम से जानता था, पर झारखण्ड के नेता खुद को ‘टाइगर’ कहलाना ज्यादा पसन्द करते हैं और पत्रकार भी ‘टाइगर’ कह गौरवान्वित होते हैं

70 के दशक में हिन्दी सिनेमा के सुप्रसिद्ध खलनायक रह चुके ‘अजीत’ को कौन नहीं जानता? फिल्म ‘कालीचरण’ में उनका

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