CM हेमन्त ने केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव को लिखा पत्र, जैनियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रख भारत सरकार के अधिसूचना पर उचित निर्णय लेने का किया आग्रह

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने भूपेन्द्र यादव, केंद्रीय मंत्री पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को पत्र लिख जैन धर्म के

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गरजे हेमन्त, अगर भाजपाई खनन को छोड़ पर्यटन पर ध्यान देते तो राज्य में नक्सलियों की धमक नहीं, बल्कि सैलानियों के ठहाके सुनाई देते

हेमन्त सरकार ने आज एक वर्ष पूरे कर ली। एक वर्ष पूरे होने के अवसर पर विद्रोही24 ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से सम्पर्क किया और उनसे विभिन्न विषयों पर बातचीत की, उन्होंने इसी बातचीत के क्रम में साफ कहा कि, अगर भाजपा की पूर्व की सरकारें राज्य में ईमानदारी से खनन का मोह छोड़कर, पर्यटन पर ध्यान देती तो इस राज्य में नक्सलियों की गोलियों की आवाजों की जगह सैलानियों के ठहाके सुनाई देते।

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CM रघुवर अपनी शानो-शौकत पर उड़ायेंगे गरीब जनता के पैसे, खर्च करेंगे फूल-पत्ती पर 44 लाख और बैडमिंटन फर्श पर साढ़े सात लाख

वो झारखण्ड का मुख्यमंत्री है, वो खुद को गरीब मजदूर का बेटा बताते नहीं थकता, पर जरा देखिये इस कथित गरीब मजदूर के बेटे की हरकत, कैसे वो अपनी शानो-शौकत पर झारखण्ड के गरीबों के लाखों-करोड़ों रुपयों को पानी की तरह बहा रहा हैं, और उसके इस झूठी शानो-शौकत पर राज्य के सभी प्रमुख विभाग दिल खोलकर अपनी राशि लूटा रहे हैं, वह भी वह राशि जो राज्य की भोली-भाली गरीब जनता की भलाई पर खर्च होने हैं।

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मिलिये झूठ बोलनेवाली रघुवर सरकार से, जिसे सिल्ली में आयोजित ‘गूंज महोत्सव’ की जानकारी ही नहीं

सारी दुनिया को पता है। पूरे देश को पता है। राज्य का बच्चा-बच्चा जानता है। सुदेश महतो की भक्ति में लीन रहनेवाले राज्यों से प्रकाशित होनेवाले अखबारों व चैनलों को पता हैं। इस कार्यक्रम में भाग लेने आई सुप्रसिद्ध बॉक्सर मेरी कॉम तथा पैसों के लिए अपनी कविता पेश करने के लिए रांची पधारनेवाले देश के विभिन्न स्थानों से आनेवाले कवियों को पता हैं, पर राज्य की रघुवर सरकार को पता ही नहीं कि रांची के सिल्ली में गूंज महोत्सव हुआ है।

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…तो ऐसे में हम एडॉप्ट-ए-गवर्मेंट पॉलिसी लाकर केन्द्र सरकार को ही क्यों न बदल दे?

जब केन्द्र की मोदी सरकार ने बीते साल सितम्बर महीने में एडॉप्ट-ए-हेरिटेज स्कीम लॉन्च की थी और देश की 95 ऐतिहासिक इमारतों जैसे ताजमहल, कांगड़ा फोर्ट, कोणार्क का सूर्य मंदिर, सती घाट, कुतुब मीनार, हम्पी, अजंता गुफा आदि स्थलों को चिह्नित कर इसे निजी हाथों में देने का फैसला किया था, तभी क्लियर हो गया था कि आनेवाले समय में, हमारे ऐतिहासिक एवं गौरव के प्रतीक स्थल पूंजीपतियों के हाथों में चले जायेंगे

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