रांची के चुटिया में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ एवं पंचकुंडीय महायज्ञ संपन्न
रचना है तो रचनाकार है और वो आधार परब्रह्म हैं। जितने भी संसार में अणु हैं और जो एक दूसरे को आकर्षित करते हैं, वे कृष्ण के अस्तित्व को स्वीकार करते हैं। श्रीमद्भागवत कहता है कि श्रीकृष्ण आनन्द को ही कहते है। वहीं एकमात्र सच्चिदानन्द स्वरुप हैं। श्रीकृष्ण ही आकर्षण के केन्द्र है। संसार में कोई भी व्यक्ति हो या वस्तु, सभी को प्रेम और आनन्द चाहिए। प्रेम राधा है तो श्रीकृष्ण आनन्द।
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