CM हेमन्त ने केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव को लिखा पत्र, जैनियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रख भारत सरकार के अधिसूचना पर उचित निर्णय लेने का किया आग्रह

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने भूपेन्द्र यादव, केंद्रीय मंत्री पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को पत्र लिख जैन धर्म के

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न पंचांग देखिये और न ही किसी पंडित जी से संपर्क करिये जो दैनिक भास्कर झूठ व सच लिखे, उसे ही सत्य मान लीजिये

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वाह इरफान अंसारी जी आप शिव की पूजा करें तो भारतीय संस्कृति और मैं योग करुं तो गैर-इस्लामिक – राफिया नाज

रांची की सुप्रसिद्ध योग शिक्षिका राफिया नाज ने आज एक तरह से डा. इरफान अंसारी की गर्दन पकड़ ली है, वो आज कांग्रेस विधायक डा. इरफान अंसारी से सवाल पूछ रही है, वो पूछ रही है – क्या विधायक जी, आप शिवभक्ति दिखायें तो भारतीय संस्कृति और मैं वहीं शिव की दी योग को अपनाऊं तो गैर-इस्लामिक हो गई? वह बुद्धिजीवियों से भी पूछती है कि जिस विधायक इरफान अंसारी को विधानसभा परिसर में जयश्रीराम बोलने पर आपत्ति हो रही थी,

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भाजपा धर्म के नाम पर राजनीति करे तो गलत और कांग्रेस के होनहार नेता रामेश्वर उरांव बिहारी-मारवाड़ियों के खिलाफ आदिवासियों के मन में जहर घोले तो सही  

रांची की जमीन दूसरे लोगों के हाथों में चली गई है। रांची में बिहार के लोग भर गये हैं। यहां मारवाड़ी बस गये। आदिवासी कमजोर हो गये। इस कारण उनका शोषण हो रहा है। ये उद्गगार है कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, राज्य के वित्त मंत्री एवं अत्यंत होनहार नेता डा. रामेश्वर उरांव का। वे आगे कहते है कि कभी रांची में आदिवासियों का निवास था। यहां बसे कई इलाकों का नाम उन्हीं के द्वारा दिया गया है। वे इलाके और नाम तो है, पर अब वहां आदिवासी नहीं रहते।

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ये दृश्य आंखों को सुकून देनेवाला/विश्वास दिलानेवाला है कि भारत में किसी भी दल का शासन क्यों न हो, भारत की आत्मा कभी मर नहीं सकती

ये दृश्य आंखों को सुकून देनेवाला, साथ ही विश्वास दिलानेवाला है कि भारत में या भारत के किसी भी राज्य में किसी भी दल का शासन क्यों न हो, भारत की आत्मा कभी मर नहीं सकती, भारत कभी मर नहीं सकता, भारत की मिट्टी से जुड़ा धर्म कभी विलोपित नहीं हो सकता। उसके लिए कोई आसुरी शक्तियां कितनी भी जोड़ क्यों न लगा लें। वर्तमान समय में जब पूरा जनमानस कोरोना वायरस से भयभीत है,

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जब दैनिक भास्कर जानता है कि “दुष्कर्म किसी जाति, धर्म या मजहब की नहीं पूरी इंसानियत की समस्या है”, तो फिर इसे खुद पर अमल क्यों नहीं कर रहा?

 

जब ‘दैनिक भास्कर’ के ही राजस्थान के एक स्टेट एडिटर लक्ष्मी प्रसाद पंत यह स्वीकार करते हैं कि “दुष्कर्म किसी जाति, धर्म या मजहब की नहीं पूरी इंसानियत की समस्या है”, तो फिर ‘दैनिक भास्कर’ ही बताएं कि उसने हाथरस मामले में जातीय उन्माद को बढ़ावा देनेवाले हेडिंग्स का इस्तेमाल क्यों किया? जरा देखिये ‘दैनिक भास्कर’ ने क्या लिखा है – “जातिगत टकराव की ओर हाथरस, पीड़िता के घरवाले बोलेः ठाकुर-ब्राह्मण के गांव में डर कर जी रहे हैं, पर इंसाफ लेंगे”

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दाल में कालाः जिन मुस्लिम संगठनों और चर्च को आदिवासियों की पूजा-पद्धति पसन्द नहीं, वे भी चल पड़े सरना धर्म को समर्थन देने

सबसे पहले देश में रहनेवाले जितने आदिवासी लोग है। पहले वे आदिवासियों के धर्म के मामले में एक राय बनाये। फिर वे अपनी मांगे रखे तो ठीक रहेगा। ऐसे भी यह राज्य का विषय भी नहीं है। इसे केन्द्र को देखना है। सरना धर्म को माननेवाले हर जगह नहीं मिलते, इसलिए इस पर मतैक्य होना असंभव है। अच्छा रहेगा कि जनजातीय लोगों के लिए खासकर धर्म के मामले में मतैक्य हो।

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हम बंदरघुड़की या ट्विटर से नहीं डरनेवाले इसलिए कानून से पंगा या धर्म के नाम पर नफरत फैलानेवाले संभल जाये – DGP

भाई, मैं साफ कह देता हूं कि चूंकि इस वक्त पूरा विश्व कोरोना से आक्रांत है, उसमें अपना देश व राज्य भी शामिल हैं, ऐसे में हमारा पहला लक्ष्य बन जाता है अपने राज्य को कोरोना मुक्त करना, जिसके लिए राज्य की पुलिस जी-जान से लगी है, उसके बावजूद भी अगर किसी ने धर्म के नाम पर नफरत या घृणा फैलाने की कोशिश की। तो मैं उन्हें कह देता हूं कि हम बंदरघुड़की या ट्विटर से डरनेवाले नहीं हैं और ऐसे लोगों की औकात को भी हमलोग जानते हैं,

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अभी भी वक्त है, नफरत/अफवाह की खेती बंद करिये, नहीं तो पुलिस-कोर्ट के चक्कर में पड़ने को तैयार रहिये

भाई, अभी भी वक्त है, समझदारी दिखाइये, इन चार महीनों में काफी बदलाव हो चुका है, जहां पुराने अधिकारियों का बोलबाला था, वहां नये अधिकारियों ने डेरा डाल दिया है, राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि राज्य में नफरत व अफवाह की खेती नहीं चलेगी, जो भी धर्म या संप्रदाय के नाम पर नफरत व अफवाह की खेती करेगा, वो जेल जायेगा। कोरोना के बाद से झारखण्ड में बहुत सारे ऐसे लोग थे, जिन्होंने नफरत की खेती शुरु की थी,

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नागरिकता संशोधन कानून पर भारत की स्थिति बिल्कुल घर फूटे गंवार लूटे जैसी, ज्यादातर भारतीय CAA के पक्ष में

एक लोकोक्ति है – घर फूटे गंवार लूटे। आज नागरिकता संशोधन कानून पर कुछ लोग बवाल मचाये हुए हैं, हालांकि उससे किसी को खतरा नहीं है, बल्कि लाभ उन्हें मिलने जा रहा है, जो पाकिस्तान, बांगलादेश, अफगानिस्तान आदि देशों में धर्म के नाम पर सताये जा रहे हैं, जिनकी बहू-बेटियों को शादी के मंडप तक से उठा लिया जाता हैं, और वे चूं तक नहीं कर पाते, वहां की पुलिस छोड़िये, कानून तक कोई उनकी मदद नहीं कर पाती।

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