अखबार की ये हेडिंग, झारखण्ड में हिन्दूओं-आदिवासियों के बेटियों की दुर्दशा बयां करने के लिए काफी हैं, पर सरकार और समाज?
हद हो गई है झारखण्ड में। ऐसी स्थिति कभी नहीं थी। लव जेहाद, मुस्लिमों द्वारा दलितों को उनके जमीन से
Read moreहद हो गई है झारखण्ड में। ऐसी स्थिति कभी नहीं थी। लव जेहाद, मुस्लिमों द्वारा दलितों को उनके जमीन से
Read moreलीजिये, 25 अगस्त से CM हेमन्त सोरेन की विधायिकी को लेकर उठा बवंडर अब थम चुका है, सारे अखबार, चैनल
Read moreसोचता हूं क्यों नहीं, झारखण्ड में कुकुरमुत्तों की तरह उगे पत्रकार यूनियनों/संघों के इस बाढ़ में, मैं भी एक “झारखण्ड
Read moreजी हां। झारखण्ड की राजधानी रांची में एक राजनीतिक महापर्व प्रारम्भ हो चुका है। उस पर्व का नाम है- हेमन्त
Read moreदिनांक – 14 मार्च, दिन – सोमवार। बाबू लाल मरांडी विधानसभा पहुंच रहे हैं। उनके विधानसभा परिसर में पहुंचते ही,
Read moreपिछले तीन दिनों से रांची प्रेस क्लब से जुड़े पदाधिकारियों और उनके समर्थकों का रांची प्रेस क्लब परिसर में धरना
Read moreआज मैं बहुत खुश हूं। मुझे पता नहीं था कि मेरे द्वारा आज किये गये भूख हड़ताल का इतना समर्थन मिलेगा। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन स्वयं फोन कर पत्रकारों की दुर्दशा पर हमसे बात करेंगे और भरोसा दिलायेंगे कि वे इस पूरे प्रकरण को देखेंगे और कोशिश करेंगे कि सारे पत्रकारों के साथ न्याय हो, उनका हक मिले, जो उनका अधिकार है। चूंकि मैंने इस बात की घोषणा पूर्व में ही कर दी थी कि मैं 19 मई को पत्रकार हित में भूख हड़ताल करुंगा
Read moreकल यानी 15 मई की ही बात है। बिहार के सरयू राय जो जमशेदपुर पूर्व से विधानसभा चुनाव लड़कर झारखण्ड विधानसभा पहुंचे हैं। जिनके बारे में कहा जाता है कि वे बहुत ही ईमानदार है। उन्होंने सोशल साइट फेसबुक पर एक बात लिखी, वो बात थी – “कोरोना की दूसरी लहर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की साख घटी है, पर लोगों में विश्वास नहीं घटा है। दूसरी ओर राज्य में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की साख पूर्व की तुलना में बढ़ी है। इस अनुपात में उन्हें लोगों के बीच विश्वास भी बढ़ाना होगा।”
Read moreयह आज के दौर में चल रही जो पत्रकारिता है, वह दरअसल पत्रकारिता नहीं, शत प्रतिशत व्यवसाय है और जहां व्यवसाय होगा तो उसमें मानवीय मूल्य व चरित्र नहीं दिखेगा, उसमें सिर्फ और सिर्फ कुटिलता दिखेगी, जिस कुटिलता के आधार पर कितना धन कमाया गया, सिर्फ इसी पर विचार किया जायेगा, दूसरी मानवीय मूल्य धरे के धरे रह जायेंगे। यह बातें मैं ऐसे ही नहीं कर रहा हूं, इधर जो पत्रकारों का हुजूम जो विभिन्न प्रेस कांफ्रेसों में कुकुरमुत्ते की तरह दिखाई पड़ रहे हैं या जो भेड़िया धसान अखबार, चैनल व पोर्टल खुल रहे हैं।
Read moreजरा दिमाग पर जोर डालियेगा, वह भी कुछ ज्यादा महीने नहीं, बल्कि छह महीने पहले चले जाइये, क्या होता था झारखण्ड में? राज्य के उस वक्त के मुख्यमंत्री रघुवर दास के आगे, हेमन्त सोरेन को झारखण्ड के विभिन्न जिलों से लेकर राजधानी तक की अखबारें भाव नहीं देती थी, यहां तक की चैनल और पोर्टलों तक से हेमन्त सोरेन को गायब करने-कराने का प्रयास किया जाता था, और आज क्या हो रहा है, उन सारे अखबारों-चैनलों व पोर्टलों में हेमन्त सोरेन छाये हुए हैं, आखिर क्यों?
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