रांची प्रेस क्लब चुनाव में हारे हुए कैंडिडेटों से अपील, ज्यादा दुखी मत होइये, पत्रकार-मतदाताओं के फैसले को बिना किन्तु-परन्तु के सहर्ष स्वीकार करिये

जब आप लोकतांत्रिक पद्धति को चुनते हैं, तो याद रखिये, लोकतांत्रिक पद्धति में हारे या जीते हुए प्रतिनिधि मतदाताओं द्वारा

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जमशेदपुर पश्चिम से बन्ना गुप्ता के खिलाफ लड़ेगी अन्नी अमृता, मिलने लगा समाज के हर वर्गों का सहयोग

आप माने या न माने, कांग्रेस पार्टी के वर्तमान विधायक व राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के खिलाफ जो कुछ दिन पहले अन्नी अमृता ने चुनाव लड़ने का बिगुल फूंका था, उसका परिणाम अब सुखद नजर आने लगा है। अन्नी अमृता को जमशेदपुर पश्चिम ही नहीं, बल्कि समस्त उस परिक्षेत्र से सहयोग मिल रहा है। स्थिति ऐसी है कि कुछ दबी आवाज से तो कुछ खुलकर अन्नी अमृता का समर्थन करने लगे है।

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PM मोदी सर्वदलीय बैठक में सोशल डिस्टेसिंग का पालन कर रहे थे, उसी समय रांची में भाजपा के बडे़ नेता इसका धज्जियां उड़ा रहे थे

राज्यसभा का चुनाव कोई जीते, सवाल तो सिर्फ यह है कि इससे झारखण्ड को क्या मिल जायेगा? सवाल तो यह भी है कि इस बात की जानकारी तो सत्तापक्ष और विपक्ष में शामिल सभी विधायकों व उनसे जुड़े नेताओं को पता था कि जिस प्रकार की स्थितियां व परिस्थितियां हैं, झामुमो अपनी सीट आराम से निकाल लेगी और रही बात भाजपा की तो उसे बाकी मतों को अपनी ओर आकर्षित करने में ज्यादा दिमाग लगाना नहीं पड़ेगा, क्योंकि निर्दलीय सरयू राय जब देंगे तो भाजपा को ही अपना मत देंगे।

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जिन मीडिया हाउस को कल CM ‘रघुवर’ में खुदा नजर आता था, अब उनके सपने में ‘हेमन्त’ आने लगे

कमाल की बात है, ये मीडिया हाउस में बैठे लोग भी न, जनता व नेताओं को कितना बेवकूफ समझते हैं, जरा देखिये न कल तक जिन मीडिया हाउसों को सीएम रघुवर में खुदा नजर आता था, अब उनके सपने में हेमन्त सोरेन आने लगे हैं। जो कल तक मुख्यमंत्री रघुवर दास के सचिव सुनील कुमार बर्णवाल के साथ सेल्फी लेकर स्वयं को धन्य महसूस करते थे, फेसबुक में डाला करते थे,

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कृषि मंत्री और संवेदक के बीच की ऑडियो वायरल, कार्यकर्ताओं को देना है पैसा, विष्णुजी के यहां पहुंचाओ

झारखण्ड के कृषि मंत्री रणधीर सिंह तथा संवेदक के बीच कमीशन को लेकर चल रही बातचीत का ऑडियो आज खूब वायरल हुआ। वायरल ऑडियो मात्र 3 मिनट 20 सेंकेंड का हैं। जिसमें संवेदक को अपने पैसे की चिन्ता तो कृषि मंत्री को अपने वोट की चिन्ता उस ऑडियो में साफ सुनाई देती है। ऑडियो से साफ पता चलता है कि कृषि मंत्री के किसी खास ने संवेदक को फोन लगाया है, जिसमें वह संवेदक को कहता है कि माननीय मंत्री जी आपसे बात करना चाहते हैं,

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CM बताएं, जो गांधी के आदर्शों का सम्मान नहीं करें, उसे क्या हक है, गांधी की 150 वीं जयन्ती मनाने की?

नाम प्रकाश मंडल, निवास – सरिया (गिरिडीह)। मांग बहुत ही छोटी, वह भी जायज, मांग भी अपने लिए नहीं बल्कि सरिया की महत्वपूर्ण समस्या जिसके कारण लोगों की जिंदगी नरकमय हो गई है, सरिया रेलवे फाटक पर एक ओवरब्रिज बनाने की, पर सरकार तो सरकार हैं, वो एक सामान्य सामाजिक कार्यकर्ता-सत्याग्रही की क्यों सुनेगी?

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चुनाव के शोर में दब गई जालियांवाला बाग के उन सैकड़ों शहीदों की चीखें, भूल गये भारतीय उन्हें याद करना

आज जालियांवाला बाग हत्याकांड के पूरे 100 साल हो गये, आज ही के दिन जनरल डायर ने सैकड़ों निहत्थे लोगों को घेरकर मौत के घाट उतार दिया था। यह ब्रिटिश शासन की क्रूरता और दमन की पराकाष्ठा थी, यहीं जालियावालां बाग  हत्याकांड है, जिसने स्वतंत्रता संग्राम की दिशा ही बदल दी, अनगिनत युवा क्रांतिकारियों के हृदय में ब्रिटिश शासन के खिलाफ ऐसी नफरत की बीज बो दी,

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लो आया मौसम सत्तापक्ष के नेताओं के चेहरे चमकाने का, उसके बदले मुंहमांगी रकम वसूलने का

रांची के विभिन्न इलाकों में बड़े-बड़े होर्डिंग, बड़े-बड़े बैनर लगे हैं, जो लोगों को अपनी ओर बरबस आकर्षित कर रहे हैं। ये होर्डिंग और बैनर किसी राजनीतिक दल ने नहीं लगवाये हैं, दरअसल रांची से प्रकाशित अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने लगवाये है, क्योंकि अब अखबारों को भी पहचान का संकट हो गया है, इसलिए वे भी अपने यहां होनेवाले कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार के लिए होर्डिंग व बैनर का सहारा लेते हैं, तथा सड़कों पर लगे बिजली के खंभों में उसे लटकवाते हैं।

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सावधान भाजपाइयों, कहीं आपकी बत्ती गुल न करा दें, फिल्म – बत्ती गुल मीटर चालू

झारखण्ड समेत पूरे देश के कई सिनेमाघरों-मल्टीप्लेक्सों में आज एक नई फिल्म ‘बत्ती गुल मीटर चालू’ आज रिलीज हुई। हमें डर है कि कहीं ये फिल्म आनेवाले लोकसभा चुनाव या कुछ ही महीनों के अंदर होनेवाले राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भाजपा की बत्ती न गुल कर दें, क्योंकि ये फिल्म शुरु से लेकर आखिरी तक कहीं न कहीं भाजपा के विकास के नारों और अच्छे दिनों पर ही सर्वाधिक कटाक्ष करते हुए, भाजपा को कुछ ज्यादा ही लपेट लिया है।

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हमको माला पहनने के लिए बहुत समय हैं, पर प्रेस क्लब आने और इसके उत्थान के लिए समय नहीं

हमारे पास समय नहीं हैं, हम इतना समय प्रेस क्लब को नहीं दे सकते, केवल महत्वपूर्ण समयों पर जब हमें चीफ गेस्ट बनायेंगे तो चेहरा दिखाने के लिए आ जायेंगे, ये सोच हैं रांची प्रेस क्लब में पदाधिकारी बने कुछ नवनिर्वाचित साहबों का। ये पत्रकारों के वोट से पदाधिकारी बने, पर अब इन्हें पत्रकारों और रांची प्रेस क्लब को कैसे सम्मान दिलाएं, इसके लिए इनके पास समय नहीं हैं।

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