कोरोना का असर, पढ़े-लिखे जाहिलों ने गरीबों का जीना किया दुश्वार, प्रशासन लाचार, राशनवालों ने दिखाया अपना असली चेहरा, सभी समानों के बढ़ाए दाम

जैसा कि सर्वविदित था और वही हुआ, उधर हेमन्त सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा की, और इधर पढ़े-लिखे जाहिलों ने राशनों की दुकान पर भीड़ बढ़ा दी। इन पढ़े-लिखे जाहिलों को लगा कि अब देश की मिट्टी चावल-दाल, और अन्य सामग्रियां उपजाना ही बंद कर देगी, और लीजिये राशन दुकानों पर ऐसे उमड़ पड़े और लंबी-लंबी सूची दुकानदारों को थमाने लगे कि इन दुकानदारों की बांछे खिल गई।

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गरीबों से चैन, उनका स्वास्थ्य, उनके बच्चों से स्कूल तक छीन लिये और विकास की बात करते हैं?

आप नये विधानसभा भवन बना दो, उससे हमें क्या मतलब? उस विधानसभा भवन में नेता बैठेंगे, आप बैठोगे। आप नये उच्च न्यायालय भवन बना दो, उससे हमें क्या मतलब? उसमें बड़े-बड़े न्यायाधीश-अधिवक्ता बैठेंगे। आप राजधानी के मुख्यालय या राज्य के विभिन्न शहरों में बड़े-बड़े थ्री स्टार या फाइव स्टार टाइप के प्रेस क्लब बना दो, उससे भी हमे क्या मतलब? बड़े-बड़े अखबारों व चैनलों में काम करनेवाले रईस, उसमें बैठकर रईसी झाड़ेंगे।

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