विश्व योग दिवस की पूर्व संध्या पर विशेष – परमहंस योगानन्द एक ऐसे संदेशवाहक जो विश्व के लिए क्रियायोग लेकर आए
वर्तमान युग में आधुनिक संसार योग विज्ञान के लाभों को अधिकाधिक स्वीकार कर रहा है। प्रत्येक वर्ष 21 जून को
Read moreवर्तमान युग में आधुनिक संसार योग विज्ञान के लाभों को अधिकाधिक स्वीकार कर रहा है। प्रत्येक वर्ष 21 जून को
Read moreयोगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया (वाईएसएस)/सेल्फ रियलाइजेशन फेलोशिप (एसआरएफ) के संस्थापक परमहंस योगानन्दजी का महासमाधि दिवस 7 मार्च को और
Read moreपरमहंस योगानन्द जी ने अपने गुरु स्वामी युक्तेश्वर गिरि व संस्कृत शिक्षक स्वामी केवलानन्द जी से एक बाकया सुना था,
Read moreआप माने या न माने, पर ये शाश्वत सत्य है कि जिन्होंने भी महान आध्यात्मिक संत परमहंस योगानन्द जी द्वारा
Read moreयोगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया (वाईएसएस) का 104 वां स्थापना दिवस 22 मार्च को है। इसी दिन परमहंस योगानन्द (1893 — 1952) ने 1917 में भारत में कई सहस्राब्दियों पूर्व अद्भुत हुए पवित्र आध्यात्मिक विज्ञान, क्रियायोग की सार्वभौमिक शिक्षा को उपलब्ध कराने के लिए योगदा सत्संग सोसाइटी की स्थापना की थी। इन धर्म-निरपेक्ष शिक्षाओं में, सर्वांगीण सफलता और समृद्धि के साथ-साथ, जीवन के अंतिम लक्ष्य – आत्मा का परमात्मा से मिलन – के लिए ध्यान की विधियों का एक पूर्ण दर्शन और जीवन शैली का ज्ञान सम्मिलित है।
Read moreअंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर यह जानना जरूरी है कि जिसे आज विश्व अपना रहा है, वह क्रिया योग है क्या और इसकी महिमा क्या है? जो लोग इसे अपना चुके हैं, वे निश्चय ही जानते होंगे कि यह हठ योग जैसा कुछ भी नहीं है, अपितु यह एक जीवन शैली है। जिससे आधुनिक विश्व को परमहंस योगानन्द ने परिचय कराया था। योगानन्द ने आम भारतीय को इससे अवगत कराने के उद्देश्य से पश्चिम बंगाल के आसनसोल के निकट दिहिका में योग विद्यालय की स्थापना 1917 में की,
Read moreइन दिनों श्री परमहंस योगानन्द का जन्मोत्सव सप्ताह मनाया जा रहा है। इसी क्रम में जगन्नाथपुर स्थित योगदा सत्संग महाविद्यालय में परमहंस योगानन्द जी का 127वां जन्मोत्सव बड़े ही धुमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वामी शुद्धानन्द ने छात्र-छात्राओं को बताया कि उनके लिए परमहंस योगानन्द कितने महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी जीवन में अगर आपने ध्यान व क्रिया योग के महत्व को समझ लिया,
Read moreभारत तो सदियों से ऋषियों-महर्षियों का देश रहा हैं। यहां के ऋषियों ने पूरे विश्व को अपने दिव्य ज्ञान से अनुप्राणित किया। जिसके कारण संपूर्ण मानव जगत् स्वयं को उत्कृष्टता के सर्वोच्च शिखर पर खुद को ले जाने के लिए हमेशा से तत्पर रहा हैं। इन्हीं ऋषियों की परम्पराओं में एक परमहंस योगानन्द हुए, जिन्होंने पूरे विश्व में पूर्व और पश्चिम के बीच जो दूरियां थी, उसे अपने आध्यात्मिक प्रकाश से सदा के लिए मिटा दिया।
Read moreअगर आप सही मायनों में योग को जानना चाहते हैं, योग में आपकी दिलचस्पी हैं, अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस का सही-सही लाभ उठाना चाहते हैं, 21 जून के दिन को आप यादगार बना लेना चाहते हैं, पूरे विश्व में भारत का नाम गर्व से उपर उठाना चाहते हैं, तो आपके लिए योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया ने एक बहुत बड़ा मौका दिया हैं, योग को जानने का, योग को समझने का।
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