प्यारे बच्चों, यह शरीर ईश्वर की अमानत है, इस अमानत को बेदाग रखते हुए, उन्हें वापस भी करना हैं

बहुत दिन हो गये, तुमलोगों से खुलकर बात नहीं हुई, आज मैंने सोचा कि तुमलोगों से बातचीत की जाय। तुम जहां भी हो, और जिस प्रकार ईमानदारी से अपने कार्य के प्रति समर्पित हो, यह देखकर हमें बड़ी प्रसन्नता होती हैं। प्रसन्नता इस बात को लेकर भी होती है, कि तुमलोग जहां भी रहते हो, एक दिन भी ऐसा नहीं हुआ कि जिस दिन तुमलोग हमें याद नहीं किये हो, यह मेरे लिए ईश्वरीय कृपा है।

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