जनता को न मोदी, न केजरीवाल और न ही देश से मतलब है, उसे बस मुफ्तखोरी से मतलब है
जी हां, जनता न मोदी होती है और न ही केजरीवाल, जो उसे मुफ्तखोरी सीखा दें, उसे कर देती हैं मालामाल। मुफ्तखोरी एक ऐसी विधा है, जिसे हर कोई अपनाना चाहता हैं, चाहे वह नेता हो या जनता, बस उसे मौका मिलना चाहिए। एक उदाहरण देता हूं, जरा आप इसे समझने की कोशिश करिये, एक नेता चाहे वह आम आदमी पार्टी का केजरीवाल हो या भाजपा का नरेन्द्र मोदी।
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