अखबारों
खबरदार छोटे- मझौले पत्रकारों, किसी BJP MLA से मत टकराना, नहीं तो नंगे कर दिये जाओगे
घटना दो अप्रैल, मध्यप्रदेश के सीधी जिले की है। बताया जाता है कि जब कई रंगकर्मी और आरटीआइ एक्टिविस्ट एक
Read moreतब तो आप ही के पार्टी के लोबिन हेम्ब्रम, भाकपा माले सदस्य विनोद सिंह, तथा कांग्रेस के कुछ विधायक भी मनुवादी हो गये
कल यानी सोमवार को झारखण्ड विधानसभा में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने झारखण्ड लोक सेवा आयोग को लेकर जो बयान दिया
Read moreअखबारों-चैनलों की चुप्पी के बावजूद CM हेमन्त के मगही-भोजपुरी भाषियों के खिलाफ दिये गये बयान से भड़का जनाक्रोश, भोजपुरी/मगही भाषियों ने कहा – हेमन्त मांगे माफी, साथ में आंदोलन की भी दी धमकी
एक लोकोक्ति है – खाया-पीया कुछ नहीं, गिलास तोड़ा आठ आना, ठीक यही लोकोक्ति राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पर
Read moreMLA बनो तो बन्ना गुप्ता या इरफान अंसारी जैसा, सरयू राय या बिनोद सिंह जैसा विधायक कभी मत बनना, क्या समझे?
खुब, वो भी बेमतलब का हल्ला-गुदाल करिये, विधानसभा के बाहर ठुमके लगाइये, अपने घर या किसी दुकान से झाल-करताल-ढोल लाकर
Read moreअखबारों भूलकर भी सच मत लिखो, नहीं तो जान लो, यहां जब जज सुरक्षित नहीं, तो तुम किस खेत की मूली हो, चुपचाप हेमन्त कीर्तन गाओ, ज्यादा जनता को ज्ञान देने की जरुरत नहीं
“तुम सच लिखोगे, उस सच से मेरा नुकसान होगा और फिर मैं तुम्हे अपनी सत्ता का धौंस दिखाकर तुम्हारा विज्ञापन
Read moreमीडिया संस्थानों के मालिकों/संपादकों के खिलाफ भूख हड़ताल भी करियेगा और उनसे ये आशा भी रखियेगा कि वे आपकी समाचारों को अपने यहां स्थान भी दें, ऐसा कभी हुआ हैं क्या?
ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़ोगे और ये चाहत भी रखोगे कि वो तुम्हे ‘सर’ या ‘राय बहादुर’ की उपाधि दे दें, तुम्हें दौलत से मालामाल कर दें, तुम्हें हर प्रकार की विशेष व्यवस्था कर दें, तो ये नहीं न होगा भाई। इस सब के लिए आपको ब्रिटिश हुकूमत का जासूस या एक शब्द में कह दें तो आपको उसका ‘पिछलग्गू’ या ‘चाटूकार’ बनना पड़ेगा, और जब इनके खिलाफ आप सड़क पर उतरियेगा तो फिर आपको भगत सिंह बनना पड़ेगा और भगत सिंह के साथ क्या होता हैं, हमें नहीं लगता है कि आपको इसके बारे में भी बताना पड़ेगा।
Read moreशाबाश बिहार के माननीयों, अब बस सदन में चाकूबाजी और गोलियां ही चलाना शेष रह गया हैं, उसे भी पूरा कर बिहारवासियों का मनोबल बढ़ा ही दीजिये
सीधा सा सवाल है बिहार के विपक्षी माननीयों से, अगर सदन में आपकी बातें नहीं मानी जायेगी, तो क्या आप सदन और सदन के बाहर गुंडागर्दी का सहारा लेंगे? आप तय करेंगे कि सरकार क्या करें या न करें? आप सदन को अपनी गुंडागर्दी के बल पर बंधक बनाने का प्रयास करेंगे? यह सोच आपके अंदर कहां से आ गई? और जब आ ही गई, आपने वो सब कर ही डाला तो जरा, पटना से प्रकाशित आज का अखबार देख लीजिये और उन अखबारों से हो सकें तो अपना-अपना चेहरा ढंकने का प्रयास कीजिये,
Read moreधिक्कार है, उन राजनीतिक दलों, चैनलों-अखबारों को जो लाशों में भी जाति व धर्म देख, अपना उल्लू सीधा करते हैं
कभी-कभी मैं सोचता हूं कि कुछ दिनों पहले जैसे कांग्रेस समर्थित शासित महाराष्ट्र में साधुओं की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई, और अब शत प्रतिशत कांग्रेस शासित राजस्थान में एक ब्राह्मण को जिन्दा जला दिया गया, इन दोनों जगहों पर अगर भाजपा का शासन होता और मरनेवालों में कोई दलित या अल्पसंख्यक होता तो क्या देश के अखबारों, चैनलों, पोर्टलों, कांग्रेसियों, वामदलों, जनसंगठनों, तथाकथित स्वयं को सेक्यूलर बतानेवाले लोग इसी तरह चुप्पी साधे रहते?
Read moreकमाल है, पहले आवेदन को अमान्य कर दो और फिर पत्रकारों को कहो कि ढुलू का मामला विचाराधीन
आज धनबाद के सभी प्रमुख अखबारों में झारखण्ड विधानसभाध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो के बयान प्रमुखता से छपे हैं। उस बयान में इस बात का जिक्र है, कि विधानसभाध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो ने कहा है कि ढुलू महतो की सदस्यता रद्द करने को लेकर एक मामला उनके पास विचाराधीन है। वे इस मामले में हर पहलूओं पर अध्ययन कर रहे हैं, जल्द ही वे इस संबंध में निर्णय ले लेंगे। रवीन्द्र नाथ महतो के इस बयान से ढुलू समर्थकों में मायूसी छाई हुई है, वहीं ढुलू महतो के कट्टर विरोधियों में खुशी का माहौल है,
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