जो आला-दर्जे के मूर्ख होते हैं, वे अक्षय तृतीया के दिन अपने श्रम-संचित धन को व्यापारियों पर लूटा देते हैं
जो आला-दर्जे के मूर्ख होते हैं, वे अपने श्रम द्वारा संचित धन को अक्षय तृतीया के दिन व्यापारियों पर लूटा देते हैं और जो विद्वान होते हैं, वे इस दिन धर्म रुपी धन का संचय करते हैं, जिसका कभी क्षय नहीं होता और इसी कारण वैशाख शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहते है। आज का दिन भगवान में स्नेह लगाने, उनका विशेष ध्यान करने का दिन है, ताकि आप और हम ईश्वर के पास मौजूद अक्षयपात्र से उस अक्षय आशीर्वाद को ग्रहण करें।
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