पुलिस का दबाव रंग लाया, भैरव ने किया आत्मसमर्पण, बयानों में बाबू लाल पर भारी पड़ रहे सीपी सिंह  

लो भाई, भैरव सिंह आज बहुत बड़ा नेता बन गया। आज भैरव सिंह ने अदालत में खुद को समर्पित कर दिया और लगे हाथों उसे 14 दिनों की रिमांड पर भी भेज दिया गया। जब भैरव सिंह अदालत में समर्पण को जा रहा था, पता नहीं कहां से मीडियाकर्मियों को भनक लग गई, पहुंच गये अचानक बहुत बड़े नेता बने भैरव सिंह का बाइट लेने। उस प्रमुख आरोपी भैरव सिंह की जिस पर आरोप है कि उसने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के काफिले पर हमले करने की कोशिश की, हालांकि इस हमले में भैरव सिंह अकेले नहीं था, उसके साथ और लोग भी थे।

लेकिन नेता तो बनना भैरव सिंह को ही लिखा था। भैरव सिंह भी आज खुब बोला, उसने खुद को महान बनाने की खूब कोशिश की, बार-बार दुहाई दे रहा था कि वह ओरमांझी में हुई एक बहन की नृशंस  हत्या को लेकर आंदोलन कर रहा था, उसकी मंशा हेमन्त सोरेन पर  हमले करने की नहीं थी। वह पूरे देश से आह्वान कर रहा था कि लोग सड़कों पर उतरे, उस लड़की को न्याय मिले, इसके लिए संघर्ष करें। अब उसके इस बयान का कितना कल असर पड़ेगा, वो तो यहां की जनता बखूबी जानती है।

सच्चाई भी है ओरमांझी की घटना से पूरा झारखण्ड मर्माहत है, पर ये कोई पहली घटना नहीं, ऐसी घटना भाजपा सरकार के रहते भी हुई है, लेकिन उन घटनाओं का भी हश्र वहीं हुआ, जो नहीं होना चाहिए था। राज्य की जनता आज तक नहीं भूली कि कैसे एक बेटी के पिता के साथ धुर्वा में भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने दुर्व्यवहार किया था, जिसका विजूयल आज भी यू ट्यूब पर पड़ा हुआ है।

कहने का मतलब है, जिन पर खुद दाग है, जिन पर पहले से ही आरोप है कि उनकी सरकार में बहू-बेटियां सुरक्षित नहीं रही, वे भी आज बहू-बेटियों के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं, उतरना भी चाहिए क्योंकि वे आज विपक्ष में है, विपक्ष का काम भी सरकार को जरुरी बातों पर घेरना होता है, अगर नहीं घेरते हैं, तो सवाल विपक्ष से भी पूछा जायेगा कि इतनी बड़ी घटना पर आपने चुप्पी क्यों बांध रखी थी?

भाजपा के ही शासनकाल में जहां पुलिस चौकी बनाई जानी चाहिए थी, वहां नहीं बनी और बनाया गया वहां उस पूर्व डीजीपी डी के पांडेय की पत्नी के भूखंड के समीप, जहां इसकी जरुरत ही नहीं थी, नतीजा लॉ कॉलेज के छात्रा के साथ हुई घटना सबको मालूम ही होगा और वे पूर्व डीजीपी पांडे साहेब भाजपा के नेता भी बन चुके है, है न आश्चर्य।

इधर बाबू लाल मरांडी भी ताल ठोक दिये है। शायद उन्हें इसका आभास था। उन्होंने एक पोर्टल को दिये इंटरव्यू में कहा कि किशोरगंज का पूरा इलाका ही भाजपा का गढ़ माना जाता है, ऐसे में वहां कोई भी आदमी सड़क पर उतरेगा और आप उसे दोषी मानकर सजा देने में लग जायेंगे तो यह एक गलत परम्परा की ही शुरुआत होगी।

बाबूलाल मरांडी के शब्दों में यह घटना मामूली सी है,और होती रहती है, कई बार वे भी ऐसी घटनाओं के चक्कर में पड़ चुके हैं, और ऐसे हालात में हम (बाबू लाल मरांडी) खुद जाकर आंदोलनकारियों के समक्ष बात करने भी पहुंच जाते हैं। वे बातों ही बातों में कहते है कि उन्हें तो यह भी समाचार मिला है कि भैरव सिंह की गिरफ्तारी से एक मोहल्ले में हर्ष की लहर हैं, पर वो कौन सा मोहल्ला है, कौन लोग वहां रहते हैं, यह बताने की जरुरत बाबू लाल मरांडी ने नहीं समझी, पर जिस मोहल्ले की ओर उनका इशारा था, ऐसा नहीं कि लोग उनके बारे में नहीं जानते, ये वहीं बाबू लाल मरांडी है, जो भाजपा में जाने से पहले खुब उन मुहल्लों में जाकर खुद को सेक्यूलर कहाने में ज्यादा गर्व महसूस करते थे।

हमें तो लगता है कि बाबू लाल मरांडी को बयान के मामले में सीपी सिंह से सीखना चाहिए। सीपी सिंह का इसी पर बयान देखिये। वे कहते है कि जनता का आक्रोश सही था, पर तरीका गलत था। वे ताल ठोक कर कहते है कि भैरव सिंह भाजपा का आदमी नहीं है, जबकि बाबू लाल मरांडी न तो भैरव सिंह को भाजपाई बताते हैं और न ही गैर भाजपाई, लेकिन उनके बयानों को लब्बोलुआब देखे तो उन्हें भैरव सिंह में भाजपा कार्यकर्ता ही नजर आता है।

सीपी सिंह भैरव सिंह को अपने बयानों से बचाने का भी प्रयास करते है, वे कहते है कि जहां ये घटना घटी, वहां तो काग्रेंस और झामुमो के भी लोग थे। उनसे जब संवाददाता पूछता है कि भैरव सिंह के साथ आपका फोटो है, वे तड़ाक से जवाब देते है कि उनका संबंध तो हेमन्त सोरेन से भी है, तो इसका मतलब क्या? सेल्फी का युग हैं, कोई सेल्फी ले लें तो इसका मतलब वो भाजपाई हो गया यानी किस प्रश्न का ऐसे माहौल में चतुराई से जवाब देना है, भाजपा में नये-नये आये नेता विरोधी दल के उम्मीदवार बाबू लाल मरांडी को सीखना चाहिए।

अंत में मामला एक लड़की के स्वाभिमान व सम्मान से जुड़ा है, इसलिए ये मामला सीएम हेमन्त सोरेन के काफिले पर हमले तक नहीं सिमट जाये, इसका ध्यान रखना चाहिए। अच्छा लगा पुलिस ने दबाव बनाया, आज भैरव सिंह जेल के अंदर है, ऐसा ही दबाव उन आरोपियों पर भी बनें, जिन्होंने एक लड़की के स्वाभिमान और सम्मान से खेलने की कोशिश की है। अगर ऐसा होता है तो निश्चय ही हेमन्त सरकार की साख बढ़ेंगी, और हमें लगता है कि यह सरकार और यहां की पुलिस निश्चय ही ओरमांझी की घटना को अंजाम देनेवाले दुष्कर्मियों को भी जेल की सलाखों के अंदर डालने का काम करेगी।