पाकिस्तान-बांगलादेश के नागरिक भारत के मुरीद, भारत में मिली उन्हें बेहतर चिकित्सीय सुविधा

पाकिस्तान और बांगलादेश में भारत की धूम है। ऐसी धूम कभी नहीं देखी गई। आम तौर पर बांगलादेश में तो नहीं, पर पाकिस्तान में जहां भी कहीं भारत विरोध की बात होती है, तो पूरा देश भारत के विरोध में खड़ा हो जाता है, पर इधर एक नई बात देखने को मिल रही है, पाकिस्तानियों और बांगलादेशियों के सुर बदले है, आखिर ऐसा क्या हुआ कि इन पड़ोस के देशों में भारत के बारे में लोगों का नजरिया बदलता जा रहा है। दरअसल हुआ यह है कि भारत में बेहतरीन और सस्ती होती चिकित्सा व्यवस्था ने इन देशों के नागरिकों को अपनी ओर आकर्षित किया है। पहले जिन चिकित्सीय सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए ये पश्चिमी देशों की यात्रा करते थे, अब वह सुविधा इन्हें भारत में ही प्राप्त हो जा रही है, इसलिए उनकी पहली और आखिरी पसंद भारत होता जा रहा है। भारत के लिए इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है।

स्वास्थ्य सेवाओं में भारत पाकिस्तान से बहुत आगे, जबकि दोनों एक साथ स्वतंत्र हुए थे

याद करिये भारत और पाकिस्तान एक साथ स्वतंत्र हुए। पाकिस्तान तो एक दिन पहले हमसे आजाद हुआ, पर वहां की स्थिति ऐसी है कि आधारभूत संरचना में आनेवाली स्वास्थ्य सेवाओं का वहां बुरा हाल है और लोग सामान्य स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी भारत की ओर रुख कर रहे है। भारत को वे अब दूसरी नजरों से देख रहे है। पाकिस्तानी नागरिकों में भारत के प्रति नजरिया बदल रहा है। जरा देखिये – कल –परसो की ही बात है, एक पाकिस्तानी महिला ने भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बारे में क्या कहा – “मैम काश आप हमारी पीएम होती”। ये भावनाएं, ये प्रेम ऐसे ही नहीं उमड़ता। किसी ने ठीक ही कहा कि आप दोनों हाथों से किसी का सर फोड़ सकते है, पर उसका दिल नहीं जीत सकते, लेकिन जैसे ही आप उसी दोनों हाथों से उसके सर को प्यार से सहलाते या उसे स्पर्श कर अपने प्यार की अनुभूति करा देते है, तो वह आपसे दिलों से जुड़ जाता है। भारत ने यहीं करना प्रारंभ किया है, जिसका परिणाम सामने है।

पाकिस्तानी पत्रकार हसन निसार भारत के मुरीद

कुछ दिन पहले की बात है हिजाब आसिफ नामक पाकिस्तानी महिला ने भारत में चिकित्सीय उपचार के लिए भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से वीजा के लिए गुहार लगाया था, जिस पर सुषमा स्वराज ने त्वरित निर्णय लेते हुए पाकिस्तानी नागरिक को वीजा देने के लिए अनुशंसा कर दी। भारत के लिए गर्व की बात है कि पड़ोसी देश के कई नागरिक वर्तमान में लीवर, हार्ट तथा अन्य प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए भारत के नई दिल्ली, चेन्नई, बंगलौर आदि शहरों का रुख कर रहे है। हमें भी चाहिए कि इन मौकों का फायदा उठाएं और एक बेहतर इन्सानी फर्ज अदा करते हुए, उनके दिलों पर मरहम लगाते हुए, एक बेहतर माहौल बनाने के लिए काम करें। हमें याद है कि पाकिस्तान में एक पत्रकार हसन निसार, जो हर मौकों पर इन बातों को प्रमुखता से उठाते है कि हमें बेहतर पडोसी की तरह भारत के साथ व्यवहार करना चाहिए। हमें आधारभूत संरचना को ठीक करने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने इस बात की भी प्रशंसा की, कि पाकिस्तान के बहुत सारे नागरिक बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लिए भारत का रुख कर रहे हैं, और वहां से उन्हें यानी पाकिस्तानी नागरिकों को दवा के साथ-साथ दुआएं भी मिल रही है।

सुषमा स्वराज की भूमिका प्रशंसनीय, भारत का विश्व में मान बढ़ाया

भारत ने हमेशा से ही मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता दी है। हमें गर्व है कि हमारे पास सुषमा स्वराज जैसी महिला विदेश मंत्रालय संभाल रही है, जिनका सम्मान केवल भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के देशों में हैं, उन्होंने जिस प्रकार विदेश में आये संकटों में भारत की भूमिका का निर्वहण किया, उसकी सभी ने प्रशंसा की है। हाल ही में पाकिस्तान के ढाई महीने का एक बच्चा, जिसे दिल की बीमारी थी, उसके माता –पिता ने वीजा पाने के लिए भारतीय विदेश मंत्रालय से सम्पर्क किया, सुषमा स्वराज ने आगे बढ़कर उसे वीजा उपलब्ध करवाया। इसी तरह पाकिस्तानी नागरिक केन सिड ने भी अपने बेटे के लिए चिकित्सा वीजा की मांग की थी, यह कहकर कि उसके बेटे का इलाज पाकिस्तान में संभव नहीं, आप मदद करें, विदेश मंत्रालय ने मदद की, जबकि उसका परिवार तीन महीने से वीजा के लिए गुहार लगा रहा था। शायद यहीं कारण था कि उसने ट्विटर के माध्यम से अपनी भावनाओं को प्रकट किया कि “इतने मतभेदों के बावजूद मानवता बनी हुई है जो देखकर अच्छा लग रहा है, आपकी कोशिशों के लिए आपका शुक्रिया। मानवता की जीत हुई। ईश्वर सब पर अपनी कृपा बनाये रखे”। ये दुआएं भी हमारे लिए कम नहीं।

जिन्होंने भारत का मान बढ़ाया, उन डाक्टरों और संस्थानों को शुक्रिया

ऐसे भी भारत तो इसी के लिए जाना जाता है। हम बधाई देते है, भारत के उन चिकित्सकों और स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर रही उन संस्थानों को जिन्होंने इस प्रकार की सुविधा प्रदान की है, जिसे पाकर हमारे पड़ोसी भारत का रुख कर रहे है और भारत की लोकप्रियता और सम्मान उन देशों में बढ़ रही है।

आज इसी बात को लेकर हमें पुरानी फिल्म “दिल ने फिर याद किया” का वह डायलॉग याद आ रहा है –

डाक्टरों को एहसान की जरुरत नहीं होती…

मरीजों की जान बचाने की जरुरत होती है…

हम भारतीय इन्हीं भावनाओं के साथ अगर मदद को आगे बढ़े तो एक न एक दिन अवश्य आयेगा कि कहीं कोई दीवारें ही नहीं रहेंगी।