झारखण्ड पुलिस पर कालिख पुत गई, अब कितना भी पोचारा करिये, नहीं धुलेगा…

अब आप कितना भी पोचारा करिये, झारखण्ड पुलिस के माथे पर जो कल कालिख पुती है, उस कालिख को आप मिटा नहीं सकते। शिव सरोज कुमार ने जो सवाल उठाये है, उसके सवाल पर कोई अंगुली नहीं उठा सकता। जनता देख रही है, कि बड़ी तेजी से झारखण्ड पुलिस और राज्य सरकार इस मामले को मैनेज करने में लगी है, कुछ समाचार पत्र तो इतनी जल्दी मैनेज हो जायेंगे, यहां की जनता को पता ही नहीं था, रही बात यहां के विपक्ष की, तो वो तो यहां कहीं दिखती ही नहीं, सिर्फ प्रेस कांफ्रेस कराने, प्रेस विज्ञप्ति जारी करने और अलबर्ट एक्का चौक पर फोटो सेशन कराने के सिवा कुछ इसे आता नहीं। इतनी बड़ी घटना घट गई, सोशल मीडिया ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया, पर जरा विपक्षी दलों और कुछ अखबारों की बेशर्मी देखिये, इनके कुकृत्यों से तो बेशर्मी शब्द शरमा जाये।

पत्रकारिता को कर्मनाशा बना रहे हैं, कुछ राष्ट्रीय अखबार

जी हां, पत्रकारिता को यहां कर्मनाशा बनाने में लगे है, यहां के कुछ राष्ट्रीय अखबार। इतनी बड़ी घटना रांची में घटी, पर रांची से प्रकाशित एक अखबार ने इसे इस प्रकार से लिया, जैसे लगता है कि ये सामान्य सी घटना है, जबकि यहीं अखबार मामूली घटनाओं को अतिरंजित करने के लिए जाना जाता है, इस अखबार ने तो इस घटना को जनता के समक्ष इस प्रकार परोसा है, जैसे लगता हो कि वह न्यायाधीश हो, रांची के सिटी डीएसपी और चुटिया थाना प्रभारी तो साक्षात इसके नजर में भगवान हैं। रांची से प्रकाशित प्रभात खबर ने थोड़ी ईमानदारी दिखाई है, लेकिन हिन्दुस्तान और दैनिक जागरण ने इस मुददे को सही ढंग से जनता के बीच रखा।

पूरे मामले को रफा-दफा करने में लग गई रांची पुलिस

जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए चुटिया थाना प्रभारी अजय कुमार वर्मा को लाइन हाजिर कर दिया गया है, पर सिटी डीएसपी पर क्या कार्रवाई हुई, इसका जवाब किसी के पास नहीं है, जबकि शिव सरोज ने सिटी डीएसपी पर भी गंभीर आरोप लगाये है।  किसी के परिवार का एकलौता चिराग दुनिया छोड़ दिया और कोई अपनी गलती छुपाने के लिए नाना प्रकार के प्रपंचों का सहारा ले रहा है, और जिन पर दुनिया की निगाहें होती है यानी पत्रकार-अखबार कि, ये सच लिखेंगे, ये पहले से ही निर्णय कर लिये कि शिव सरोज गलत था, लिख दिया – “पिता के सामने झूठा साबित होने पर की आत्महत्या”। इससे बड़े शर्म की बात और क्या हो सकती है? केस सीआईडी को ट्रांसफर कर दिया गया है, सुना है कि जांच भी शुरु हो गई।

सीएम का दिया 24 घंटा भी बीत गया, पुलिस महानिदेशक ने क्या किया?

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कल पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया था कि पूरे मामले की जांच 24 घंटे के अंदर कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें और इसकी सूचना उन्हें दें। 24 घंटे तो बीत गये, क्या हुआ?  मुख्यमंत्री रघुवर दास जी, जनता जानना चाहती है।